Posted On : 13 June, 2024
अक्सर देखा जाता है कि दुर्घटना या अन्य किसी कारण से वाहन क्षतिग्रस्त होने पर कागजात पूरे नहीं होने की स्थिति में वाहन बीमा क्लेम रिजेक्ट हो जाता है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। केंद्र सरकार ने हाल ही में मोटर वाहन नियमों में बदलाव किया है। इसके तहत अब कागजात नहीं होने पर भी आपका वाहन बीमा क्लेम रिजेक्ट नहीं होगा। वाहन बीमा क्लेम के नियमों में बदलाव होने से वाहन चालकों व मालिकों को राहत मिलेगी।
हाल ही में इरडा ने वाहन बीमा को लेकर एक मास्टर सर्कुलर जारी किया है। इसमें क्लेम सेटलमेंट के लिए समय सीमा निर्धारित की गई है। इसके तहत क्लेम सेटलमेंट की एक निश्चित अवधि तय की गई है। इस अवधि के अंदर ही बीमा क्लेम को निपटाना होगा। वहीं इस मास्टर सर्कुलर में मोटर बीमा पॉलिसी रिजेक्ट कराने के नियमों में संशोधन किया गया है।
आज हम ट्रक जंक्शन के माध्यम से आपको केंद्र सरकार की ओर से वाहन बीमा क्लेम के नियमों में हुए बदलाव की जानकारी दे रहे हैं ताकि आपको वाहन बीमा का क्लेम मिलने में आसानी रहे।
अब तक बीमा कंपनियां जानकारी छिपाने, फर्जीवाड़ा, मिस रिप्रेजेंटेशन, असहयोग आदि के आधार पर मोटर बीमा पॉलिसी और थर्ड पार्टी इंश्योरेंस को रिजेक्ट कर देती थी, लेकिन अब बीमा कंपनी केवल फर्जीवाड़ा साबित होने के बाद ही वाहन बीमा पॉलिसी को कैंसिल कर सकेगी। इसके लिए भी कंपनी को सात दिन पहले बीमा धारक को अवगत कराने के लिए नोटिस देना होगा। इसके अलावा अन्य किसी और कारण से बीमा पॉलिसी को कैंसिल नहीं किया जा सकेगा। हालांकि किसी वाहन का दो थर्ड पार्टी इंश्योरेंस है तो ऐसी दशा में एक पॉलिसी को कैंसिल किया जा सकता है।
केंद्र सरकार की ओर से वाहन बीमा क्लेम के नए नियमों के अनुसार इसमें लोगों को यह ऑप्शन दिया गया है कि वे गाड़ी चलाने के हिसाब से इंश्योरेंस का प्रीमियम जमा करा सकते हैं। इरडा के नए नियमों के अनुसार अब बीमा करने वाली कंपनी, बीमा करते समय जोखिम का आकलन करते समय ही सभी आवश्यक कागजात ले लेंगी। हालांकि क्लेम सेटलमेंट के समय जरूरी होने पर कंपनियां आपसे केवल क्लेम सेटलमेंट फॉर्म, ड्राइविंग लाइसेंस या परमिट की मांग कर सकती है।
वाहन बीमा के बदले नियमों के अनुसार अब बीमा कंपनी को अपने ग्राहक को कस्टमर इंफॉर्मेशन शीट (सीआईएस) देना जरूरी होगा। इस शीट में आसान भाषा में पॉलिसी की शर्तें, बीमा कवरेज, सम एश्योर्ड राशि, एड-ऑन्स, आइडीबी, क्लेम करने का तरीका, कॉन्टैक्ट नंबर, शिकायत कहां करें जैसी जरूरी बातों उल्लेख आवश्यक होगा।
बदले हुए नियम के अनुसार पालिसी धारक की ओर से मोटर बीमा क्लेम करने के 24 घंटे की अवधि के अंदर इंश्योरेंस कंपनियों को सर्वेयर की नियुक्ति करनी होगी। वहीं सर्वेयर को 15 दिन की अवधि के भीतर सर्वेयर रिपोर्ट देनी होगी। इसके बाद सात दिन के भीतर बीमा कंपनी को क्लेम सेटलमेंट पर फैसला करना होगा। इस तरह 21 दिन की अवधि में मोटर बीमा क्लेम सेटल हो जाएगा। यदि इसमें देरी होती है तो बीमा कंपनियों पर जुर्माना लगाए जाने का भी प्रावधान है।
नए वाहन क्लेम नियमों के अनुसार अब वाहनों के लिए थर्ड पार्टी बीमा होना अनिवार्य कर दिया गया है। इस संबंध में सड़क परिवहन मंत्रालय ने कहा है कि थर्ड पार्टी इंश्योरेंस नहीं होना अब दंडनीय अपराध की श्रेणी में माना जाएगा। नए नियमों के अनुसार पहली बार गलती होने पर तीन माह तक की कैद और 2000 रुपए जुर्माना भुगतना होगा। वहीं दूसरी बार गलती होने पर तीन माह तक की जेल और 4,000 रुपए का जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
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