वॉल्वो ट्रक्स ने प्रोटोटाइप का किया अनावरण
जिस तरह से ईंधन विकल्प और प्रदूषण से मुक्ति के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को सरकारी तौर पर प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके चलते देश में तेजी से ई वाहनों का चलन और इनकी मांग बढ़ रही है। कुछ इसी तर्ज पर ईंधन के नये हरित विकल्प के तौर पर हाइड्रोजन से संचालित वाहन हो सकते हैं। वॉल्वो ट्रक्स कंपनी ने तो इस पर परीक्षण भी शुरू कर दिया है। यह कंपनी इस दशक के दौरान ही हाइड्रोजन से संचालित ईधन सेल इलेक्ट्रिक ट्रक को अपने कार्बन न्यूट्रल उत्पाद पोर्टफोलियो में जोडऩे की योजना बना रही है। वॉल्वो ट्रक्स कंपनी का मानना है कि यह तकनीक ट्रकों को टेलपाइप से सिर्फ जलवाष्प उत्सर्जित करते हुए हाईड्रोजन पर चलने की अनुमति देगी। इसके अलावा ट्रक बोर्ड पर अपनी बिजली उत्पादन करने में सक्षम होंगे। यहां आपको ट्रक जंक्शन की इस पोस्ट पर वॉल्वो ट्रक्स कंपनी की इस प्रस्तावित योजना की पूरी जानकारी दी जा रही है, इसे अवश्य अधिक से अधिक लाइक और शेयर करें।
वॉल्वो ट्रक्स ने कई वर्षों तक तकनीक विकसित की
यहां बता दें कि हाइड्रोजन से चलने वाले ईंधन सेल इलेक्ट्रिक ट्रक को अपने उत्पाद पोर्टफोलियो में जोडऩे के लिए कई वर्षों से इस तकनीक को विकसित किया है। वॉल्वो ट्रक्स के प्रेसिडेंट रोजर एल्म ने कहा कि हम कुछ वर्षों से इस तकनीक को विकसित कर रहे हैं और पहले ट्रक को सफलतापूर्वक परीक्षण ट्रैक पर चलते हुए देखना बहुत अच्छा लगता है। बैटरी इलेक्ट्रिक और फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक संयोजन हमारे ग्राहकों को अपने ट्रकों से CO2 निकास उत्सर्जन को पूरी से समाप्त करने में सक्षम बनाएगा। हाइड्रोजन से चलने वाले ईंधन सेल इलेक्ट्रिक ट्रक लंबी दूरी और भारी ऊर्जा मांग वाले आइनमेंट के लिए विशेष रूप से उपयुक्त होंगे। वे उन देशों में भी एक विकल्प हो सकते हैं जहां बैटरी चार्ज करने की संभावनाएं सीमित हैं।
ऑन बोर्ड दो हाइड्रोजन सेल 300 केवी बिजली बनाएंगे
बता दें कि हाइड्रोजन से संचालित ईंधन सेल इलेक्ट्रिक ट्रकों की परिचलन सीमा 1,000 किमी तक बताई गई है। यह कुछ ट्रकों के बराबर आंकी गई है। वहीं वॉल्वो ट्रक्स कंपनी के मुताबिक दो हाइड्रोजन सेल ऑनबोर्ड 300 केवी तक बिजली पैदा कर सकते हैं। हाइड्रोजन से संचालित ईंधन सेल इलेक्ट्रिक ट्रकों में ईंधन भरने का समय भी करीब 15 मिनट तक का ही होने का दावा किया जा रहा है। इसके अलावा ट्रक का वजन लगभग 65 टन या उससे अधिक होने की उम्मीद है।
अगले कुछ वर्षों में हरित हाइड्रोजन की आपूर्ति बढ़ेगी
वॉल्वो ट्रक्स कंपनी द्वारा हाइड्रोजन से चलने वाले ईंधन सेल इलेक्ट्रिक ट्रकों पर किए गए परीक्षण के बाद कंपनी ने जो निष्कर्ष निकाला है उसके अनुसार आगामी कुछ वर्षों के दौरान हरित हाइड्रोजन की आपूर्ति में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। वॉल्वो ट्रक्स के प्रेसिडेंट रोजर एल्म ने कहा कि ऑटोमोबाइल उद्योग ष्टह्र२ को कम करने के लिए इस पर निर्भर होंगे। हालांकि हम परिवहन को डी- कार्बोनाइज करने का लंबा इंतजार नहीं कर सकते। उन्होंने सभी परिवहन कंपनियों को संदेश दिया है कि वे बैटरी इलेक्ट्रिक, बायोगैस और अन्य विकल्पों के साथ यह यात्रा शुरू करनी है। ईंधन सेल ट्रक आगामी कुछ वर्षों में लंबे और भारी परिवहन के लिए एक महत्वपूर्ण पूरक होंगे।
केंद्रीय सडक़ परिवहन राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की पहल
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि केंद्रीय सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने ईंधन के नये विकल्प को प्रोत्साहित करने के लिए मार्च 2022 में ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाली कार टोयोटा मिराई में संसद पहुंचे थे। इस अवसर पर उन्होंने मीडिया के सामने कहा था कि भारत ने ईंधन में आत्मनिर्भर होने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन को पेश किया है जो पानी से पैदा होता है। इसे उन्होंने पायलट प्रोजेक्ट के रूप में प्रदर्शित किया। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार भारत सरकार ने इसी वर्ष 3000 करोड़ रुपये का मिशन शुरू किया जिससे जल्द ही हमारा देश हाइड्रोजन का निर्यात करने वाला बन जाएगा। वहीं जहां अभी कोयले का उपयोग हो रहा है वहां हाइड्रोजन का इस्तेमाल किया जाएगा।
क्या है ग्रीन हाइड्रोजन, क्या हैं इसके फायदे
आपको बता दें कि ग्रीन हाइड्रोजन पारंपरिक ईंधन का एक विकल्प है जिसे किसी भी वाहन पर इस्तेमाल किया जा सकता है। ग्रीन हाइड्रोजन के फायदे इस प्रकार हैं-:
- ग्रीन हाइड्रोजन ईंधन मध्यम से लंबी दूरी की यात्रा के लिए काफी भरोसेमंद मानी जा रही है।
- ग्रीन हाइड्रोजन एक शून्य उत्सर्जन ईंधन है। इससे कोई प्रदूषण नहीं होगा।
- यात्रा के दौरान पानी के अलावा कोई उत्सर्जन नहीं होगा।
- हाइड्रोजन भरने में 3 से मिनट का समय लगेगा जैसे कि पेट्रोल भरने में लगता है।
- इसके अलावा हाइड्रोजन से चलने वाली कार में गैस को एक हाई प्रैशर टैंक में स्टोर किया जाता है फिर इसे बिजली पैदा करने के लिए फ्यूल सेल में भेजा जाता है।
- हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के बीच प्रतिक्रिया से बिजली पैदा होती है। इससे बिजली की बचत होती है।
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