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अशोक लेलैंड चौथी तिमाही में सीएनजी ट्रक लांच करेगी

Posted On : 17 November, 2021

अशोक लेलैंड सीएनजी से संचालित इंटरमिडिएट कमर्शियल व्हीकल सेगमेंट में आगे और कदम बढ़ाएगी कंपनी

डीजल की कीमतों में वृद्धि, अन्य वाणिज्यिक वाहन निर्माता कंपनियों की अशोक लेलैंड से कड़ी स्पर्धा और सरकार की ओर से वैकल्पिक ईंधन के रूप में सीएनजी को प्रोत्साहित करने के बीच अब अशोक लेलैंड ने सीएनजी सेगमेंट में प्रवेश करने का पक्का इरादा बना लिया है। यहां बता दें अशोक लेलैंड ने वैकल्पिक ईंधन सीएनजी से संचालित इंटरमिडिएट कमर्शियल व्हीकल ( Intermediate Commercial Vehicle ) खंड में ट्रक लांच करने भी योजना लगभग तैयार कर ली है। 

आपको बता दें कि कंपनी हाईड्रोजन से चलने वाले वाणिज्यिक वाहनों पर भी लगातार काम कर रही है। वहीं यह कंपनी ईवी कारोबार में निवेश करने के लिए निजी निवेशकों को लाने के लिए भी तैयार है। कंपनी के शीर्ष अधिकारियों ने कहा है कि जल्द ही अशोक लेलैंड क्यू-4 के सीएनजी सेगमेंट में दो आईसीवी मॉडल लांच किए जाएंगे। बाद में एलसीवी सेगमेंट में और मॉडल लांच करने की प्लानिंग है। आइए, जानते हैं, अशोक लेलैंड (Ashok Leyland) की भावी कार्ययोजना  क्या है और ईंधन विकल्प योजना के लिए कंपनी सीएनजी सेगमेंट ही क्यों अपनाना चाहती है?

अशोक लेलैंड के अधिकांश वाहन सीएनजी आधारित होंगे

यहां बता दें कि ईंधन विकल्प के लिए सीएनजी को अपनाने के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है। यह पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण से मुक्ति दिलाने के तहत सरकार की महती योजना भी है। इसी के मद्देनजर अशोक लेलैंड वाणिज्यिक वाहन निर्माता कंपनी भी सीएनजी विकल्प का निर्णय ले चुकी है। कंपनी के सीईओ और एमडी विपिन सौंधी ने कहा है कि सरकार सीएनजी (CNG) को प्रोत्साहित कर रही है और हम लेने के लिए तैयार हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आगे आने वाले वर्षों में हमारे बेड़े का एक बड़ा हिस्सा सीएनजी पर चलने में सक्षम है। 

अशोक लेलैंड की आईसीवी स्पेस में 20 प्रतिशत भागीदारी

यहां यह भी बता दें कि बॉस एलई और एलएक्स इकोमेट स्टार जैसे उत्पादों के साथ, अशोक लेलैंड की आईसीवी (ICV) स्पेस में लगभग 20 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी है, जो कूरियर, पोल्ट्री, सफेद सामान, कृषि नाशपाती और ई कॉमर्स जैसे कई क्षेत्रों को पूरा करती है। फिलहाल अशोक लेलैंड के पास सीएनजी वेरिएंट में केवल दोस्त एलसीवी है। वर्तमान में इसके समकक्ष सभी खंडों में सीएनजी आधारित सीवी की विस्तृत श्रृंखला पेश कर रहे हैं जबकि टाटा मोटर्स के पास आईसीवी सेगमेंट में 5 टन से लेकर 16 टन जीवीडब्ल्यू तक व्यापक सीएनजी पोर्टफोलिया है, वीई कमर्शियल व्हीकल्स में 4.9 टन सकल वाहन वजन जीवीडब्ल्यू से 16.02 जीवीडब्ल्यू तक आठ सीएनजी मॉडल हैं। 

सीएनजी वाहनों से 70 प्रतिशत ऊर्जा की बचत

सीएनजी फ्य़ूल विशेषज्ञों के अनुसार सीएनजी इस्तेमाल करने से वाहनों में 70 प्रतिशत ऊर्जा लागत की बचत होती है। सीएफओ और पूर्णकालिक निदेशक, गोपाल महादेवन के अनुसार ईंधन की कीमतों में भारी वृद्धि से ग्राहक सीएनजी और अन्य विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि आईसीवी के भीतर सीएनजी वाहनों में हाल के वर्षों में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई। सीएनजी और डीजल के बीच अंतर और भी व्यापक हो गया है। इसी के कारण लोगों ने सीएनजी वाहनों में अधिक निवेश करना शुरू कर दिया है। यही नहीं सीएनजी वाहनों में 70 प्रतिशत ऊर्जा लागत की बचत के साथ ही करीब 20 प्रतिशत कम उत्सर्जन होता है। वर्तमान में राष्ट्रीय राजधानी में सीएनजी की कीमत 52.04 रुपये प्रति किलोग्राम है। 

हाइड्रोजन और इलेक्ट्रिक कमर्शियल व्हीकल्स में निवेश

अशोक लेलैंड कंपनी हाइड्रोजन से चलने वाले वाणिज्यिक वाहनों और इलेक्ट्रिक वाहनों के संचालन को भी बढ़ावा देने में लगी हुई है।  कंपनी के सीईओ और एमडी विपिन सौंधी का कहना है कि हाइड्रोजन से चलने वाले वाणिज्यिक वाहनों पर कंपनी ने काम करना भी शुरू कर दिया है और इससे पारिस्थितिकी तंत्र विकसित होगा। हाइड्रोजन पर कंपनी का परीक्षण चल रहा है। 

इसके अलावा कंपनी इलेक्ट्रिक वाहन कारोबार में भी निवेश के लिए बड़े निवेशकों को लाने के लिए तैयार है। कंपनी अपने इलेक्ट्रिक वाहन कारोबार को अपनी सहायक कंपनी स्विच मोबिलिटी ऑटोमोटिव लिमिटेड, इंडिया एसएमएएल को ट्रांसफर करेगी। इसके लिए कंपनी बोर्ड ने हाल ही में 240 करोड़ रुपए स्थानांतरित करने को मंजूरी दी है। कंपनी का कहना है कि ईवी सेगमेंट उनके लिए बेहद महत्वपूर्ण होने जा रहा है। इसमें वित्तीय साझेदारों की प्रतीक्षा है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि अशोक लेलैंड कंपनी ने जुलाई-सितंबर की तिमाही में पिछले साल की इसी अवधि में 96 करोड़  रुपये के नुकसान की तुलना में 84 करोड़  रुपये का  समेकित नुकसान दर्ज किया। समेकित राजस्व, हालांकि साल दर साल 44 प्रतिशत से बढ़कर 5,562 करोड़ रुपये हो गया।

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