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इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए इस साल के अंत तक आएगी बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी

Posted On : 11 April, 2022

जानें, क्या होगी सरकार की नई बैटरी स्वैपिंग नीति

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के बढ़ते चलन और इन वाहनों को अपनाने के लिए सरकारी प्रयासों के तहत अब ईवी इंफ्रास्ट्रक्चर विस्तार के साथ केंद्र सरकार जल्द ही बैटरी स्वैपिंग नीति लाएगी। इसकी विधिवत घोषणा वर्ष 2022 के अंत तक होने की संभावना है। इस संबंध में नीति आयोग के एक उच्च अधिकारी ने मीडिया को बताया है कि इस साल के दिसंबर तक बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी से जुड़े प्रस्ताव को पेश किया जा सकता है। मीडिया  रिपोर्ट्स के अनुसार सेंट्रल गवर्नमेंट बैटरी स्वैपिंग नीति के तहत 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों को चिन्हित करेगी। आइए, ट्रक जंक्शन की इस पोस्ट में आपको बताते हैं केंद्र सरकार की प्रस्तावित बैटरी स्वैपिंग नीति के उद्देश्य और इससे ईवी मालिकों के लिए क्या लाभ मिलेगा? 

मैट्रो स्टेशनों के आसपास इलाकों में होंगे चार्जिंग प्वाइंट्स 

बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से इस वर्ष के अंत तक घोषित की जाने वाली बैटरी स्वैपिंग नीति के अंतर्गत केंद्र सरकार मैट्रो सिटी में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग और बैटरी स्वैप स्टेशन स्थापित करेगी। इनमें रेलवे और मेट्रो स्टेशनों के आसपास वाले इलाकों में चार्जिंग प्वाइंट्स को शुरू करने की प्राथमिकता दी जाएगी। सरकार की योजना के साकार होने के बाद इन शहरों के इलेक्ट्रिक वाहन धारियों को अपने वाहनों की बैटरी चार्ज करने की पूरी सुविधा मिलेगी। वहीं इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में भी तेजी आएगी। 

जानें, क्या है बैटरी स्वैपिंग सिस्टम 

यहां आपको बता दें कि बैटरी स्वैपिंग क्या है? दरअसल आजकल इलेक्ट्रिक वाहनों में अलग होने वाली बैटरी होती है जिसे डिटैचेबल बैटरी कहा जाता है। इस तरह की बैटरी को इलेक्ट्रिक वाहन से निकाल कर चार्ज किया जा सकता है या फुल चार्ज बैटरी से स्वैप भी किया जा सकता है। इसका फायदा यह होता है कि आपका समय बचता है और बैटरी से स्वैप भी हो जाता है। जब बैटरी डिस्चार्ज हो जाती है तो वाहन मालिक इसे स्वैपिंग स्टेशन पर पूरी तरह से चार्ज की जाने वाली बैटरी से बदल सकता है।  वाहन चालकों की रेंज की चिंता भी कम होगी। देश में बाउंस जैसी इलेक्ट्रिक स्कूटर कंपनी अपने ग्राहकों को सब्सक्रिप्सन के तौर पर बैटरी दे रही हैं। इससे बाउंस ग्राहक कंपनी के किसी भी स्वैप स्टेशन पर जाकर बैटरी को बदल सकता है। वहीं बता देें कि उसे सिर्फ स्वैपिंग के शुल्क का  भुगतान करना रहता है, जो कि चार्जिंग दर से काफी सस्ता होता है। 

जानें, बैटरी स्वैपिंग की कार्यप्रणाली के बारे में 

यहां आपको बैटरी स्वैपिंग की कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी दी जा रही है। यह कैसे काम करता है? बता दें कि एक इलेक्ट्रिक वाहन मालिक बैटरी स्वैप पार्टनर के किसी भी आउटलेट पर जा सकता है और डिस्चार्ज बैटरी को पूरी तरह से चार्ज बैटरी में बदल सकता है। उसे इसके लिए बस बैटरी के सर्विस शुल्क का भुगतान करना होगा। यह प्रणाली ठीक उसी प्रकार है जैसे उपभोक्ता एलपीजी सिलेंडर का उपयोग करते हैं। उदाहरण के तौर पर एक स्कूटर की बैटरी को स्वैप करने में लगने वाला समय एक बाइक में पेट्रोल भरवाने जितना होगा।  कुल मिलाकर बैटरी स्वैप करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन ग्राहक को एक निश्चित ऑपरेटर के पास जाना होगा।  

बैटरी स्वैपिंग को कैसे प्रोत्साहित करेगी सरकार? 

इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी स्वैप करने के लिए केंद्र सरकार जल्द ही बैटरी स्वैपिंग नीति ला रही है, इस संबंध में 1 फरवरी 2022 को पेश किए गए बजट में भी सरकार ने घोषणा की थी। दरअसल सरकार की बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी लाने की जो योजना है उसका मुख्य उद्देश्य बैटरी स्वैपिंग को प्रोत्साहित करना है। इस नीति में इलेक्ट्रिक थ्री व्हीलर ,बाइक, स्कूटर आदि वाहनों के लिए बैटरी स्वैप की सेवाओं को बढ़ाया जाएगा। ईवी मालिकों को इससे बैटरी के सब्सक्रिप्सन या लीज पर 20 प्रतिशत का लाभ मिल सकता है। यह प्रोत्साहन वाहन खरीदने के लिए दी जाने वाली सब्सिडी से अधिक होगा।

खराब बैटरी के कचरे को किया जाता है रिसायकल 

यहां आपको बता दें कि वर्ष 2021 और 2030  के बीच करीब 12 मिलियन टन से अधिक लिथियम-ऑयन बैटरी के समाप्त होने की संभावना है। बैटरियों के लिए बड़ी मात्रा में कच्चे माल जैसे कि लिथियम, निकल और कोबाल्ट की आवश्यकता होती है जिसके खनन से पर्यावरण पर प्रभाव पड़ता है।  वहीं खराब बैटरी से बहुत अधिक मात्रा में इलेक्ट्रिॉनिक कचरा निकलता है इसलिए इन्हे ठीक से रीसायकल कर बड़े पैमाने पर मूल्यवान धातुओं को निकाला जाता है। रीसायकल की गई बैटरियों का  उपयोग दोबारा वाहनों में नहीं किया जाता लेकिन इनका उपयोग सौर या पवन पॉवर प्लांट से बनने वाली बिजली के स्टोरेज में किया जा सकता है। 

पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना मुख्य उद्देश्य 

बता दें कि केंद्र सरकार के नीति आयोग की ओर से इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी स्वेपिंग नीति लाने के पीछे पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूती प्रदान करना है। इससे इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में भी  इजाफा होगा। वहीं लोकसभा में 1 फरवरी को बजट पेश करते समय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने घोषणा की थी सरकार कि ईवीएस के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए बैटरी स्वैपिंग नीति लाएगी।  बैटरी नीति की घोषणा इस फोकस के साथ भी जुड़ी हुई है कि इससे विद्युत गतिशीलता को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही बैटरी में नया तकनीकी विकास आयातित बैटरी तकनीक पर निर्भरता को कम करने एवं घरेलू फर्मों को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और भूू राजनीतिक मुद्दों से उबरने में मदद करेगा।

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