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केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहन नियमों में किया संशोधन

Posted On : 18 January, 2022

केंद्र सरकार ने घरों या कार्यालयों में ईवी चार्ज की दी अनुमति 

भारत में इलेेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए सरकार एक से एक बढ़ कर प्रयास कर रही है। वहीं देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग  की सुविधाओं के विस्तार के तहत इंफ्रास्ट्रैक्चर के विकास के लिए भी कई बड़े कदम उठाए जा रहे हैं। ताजा जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार ने हाल ही इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग बुनियादी ढांचे के नियमों में संशोधन किया है। इसके तहत सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहन मालिकों को अपने घरों या कार्यालयों में ईवी चार्ज करने की अनुमति प्रदान कर दी है। वहीं अब सरकार सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए निजी संस्थाओं को सरकारी भूमि भी आवंटित करेगी। आइए जानते हैं केंद्र सरकार ने  ईवी चार्जिंग बुनियादी ढांचे के नियमों में  क्या नए संशोधन किए गए हैं? 

मौजूदा बिजली कनेक्शन का करें उपयोग 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए ईवी चार्जिंग के मूलभूत ढांचे के नियमों में बदलाव किया है। इस बदलाव से इलेक्ट्रिक मालिक अपने घरों और कार्यालयों में मौजूदा बिजली कनेक्शनों का उपयोग करके ईवी चार्ज कर सकेंगे। केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि ईवी मालिक अपने मौजूदा बिजली कनेक्शन का उपयोग करके अपने निवास या कार्यालयों में अपने इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज कर सकेंगे। वहीं घरेलू खपत के लिए लागू टैरिफ घरेलू चार्जिंग के लिए ही लागू होगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार भारत में 947,876 पंजीकृत इलेक्ट्रिक वाहन हैं जबकि ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी के अनुसार पूरे देश में अब तक महज 1,028 सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन हैं।

दो चरणों में शुरू होगी पीसीएस योजना 

बता दें कि केंद्रीय बिजली मंत्रालय की ओर से जारी संशोधित दिशा-निर्देश और मानकों के तहत सरकार की योजना दो चरणों में पीसीएस शुरू करने की है। इसमें पहले चरण में 2011 की जनगणना के अनुसार 4 मिलियन से अधिक की आबादी वाले मेगा सिटी, एक्सप्रेसवे और महानगरों से जुड़े महत्वपूर्ण राजमार्ग होंगे वहीं दूसरे चरण में राज्यों की राजधानियां, केंद्र प्रशासित प्रदेशों के मुख्यालय और इनसे जुड़े राजमार्गों को कवर किया जाएगा। संशोधित दिशा-निर्देशों के अंतर्गत 2030 तक भारत सरकार ने निजी कारों के लिए 30 प्रतिशत ईवी बिक्री पैठ का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा वाणिज्यिक वाहनों के लिए 70 प्रतिशत, बसों के लिलए 40 प्रतिशत और दोपहिया एवं तिपहिया वाहनों के लिए 80 प्रतिशत ईवी इस्तेमाल का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में देश में केवल 2 से 3 इलेक्ट्रिक कार वेरिएंट की कीमत 15 लाख रुपये से कम है। सब्सिडी को शामिल करने के बाद दोपहिया और तिपहिया वाहनों की कीमतें पेट्रोल वाहनों के बराबर हो गई हैं। बता दें कि दिल्ली के अलावा देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की धीमी बिक्री का एक प्रमुख कारण चार्जिंग इंफ्रास्ट्रैक्चर की कमी है। 

सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन के लिए लाइसेंस जरूरी नहीं 

बता देें कि अब नये नियमों के अनुसार पीसीएस स्थापित करने के लिए किसी संस्था या व्यक्ति विशेष को लाइसेंस की जरूरत नहीं पड़ेगी। वहीं सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन शुरू करने के लिए सरकार के दिशा-निर्देशों की पालना आवश्यक होगी जैसे कि तकनीकी सुरक्षा, मानकों का प्रदर्शन, प्रोटोकॉल के साथ-साथ मानदंडों और विनिर्देशों को पूरा करना होगा। बिजली मंत्रालय, बीईई और केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण द्वारा समय-समय पर डाउन किया जाता है। इसमें सिविल, इलेक्ट्रिकल एवं सुरक्षा आवश्यकताओं के लिए उपयुक्त बुनियादी ढांचे के मानदंड शामिल हैं। 

सेवा शुल्क तय करने काअधिकार राज्य सरकारों पर छोड़ा 

यहां बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से पीसीएस पर लगाए जाने वाले सेवा शुल्क की सीमा तय करने का अधिकार राज्य सरकारों पर छोड़ दिया है। इसकी अनुमति इसलिए दी गई क्योंकि कुछ राज्यों ने अपनी ईवी पॉलिसी घोषित कर रखी है। इसके तहत ईवी खरीदने और चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए सब्सिडी की पेशकश करते हैं। अब तक 14 राज्यों ने अपनी ईवी नीतियां जारी की हैं। इनमें दिल्ली, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, गुजरात, केरल, पंजाब, तमिलनाडु और बिहार शामिल हैं। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने संसद को बताया है कि भारत में पंजीकृत इलेक्ट्रिक वाहनों में उत्तरप्रदेश और दिल्ली की हिस्सेदारी 44 प्रतिशत है। 

पीसीएस के लिए भूमि उपलब्ध कराने के ये हैं नियम 

बता दें कि चार्जिंग स्टेशनों को वित्तीय रूप से व्यवहार्य बनाने के लिए सरकार ने सार्वजनिक स्टेशनों  के उपयोग वाली भूमि आवंटन के कुछ खास नियम तय किए हैं। इनमें सरकार / सार्वजनिक संस्थाओं के पास उपलब्ध भूमि एक सरकारी अथवा सार्वजनिक संस्था को पीसीएस की स्थापना के लिए राजस्व-साझाकरण के आधार पर 1 किलोवाट प्रति घंटा की निश्चित दर पर प्रदान की जाएगी। वहीं बीईई मुुंबई, बैगलुरू, हैदराबाद अहमदाबाद, चैन्नई, कोलकात, सूरत और पुणें जैसे प्रमुख महानगरों मेंं सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना के लिए कार्य योजना तैयार कर रहा है। 

ये रहेंगे चार्जिंग स्टेशनों के लक्ष्य 

केंद्र सरकार की ओर से बिजली मंत्रालय द्वारा शुरूआती अनुमानों के लिए 2030 तक निर्धारित महानगरों में पीएसीएस की स्थापना की जाएगी। सामान्य परिदृश्य में कुल ,3263 चार्जर और तेजी से बढेंगे। इसके अलावा आक्रामक परिदृश्य के अंतर्गत 46,597 चार्जर स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। वहीं बता दें कि सरकार द्वारा और भी कई ऐसी योजनाएं हैं जिनके  कारण ईवी क्रांति को गति मिल रहीं है। 

शून्य उत्सर्जन के लिए दिया जा रहा ईवी को बढ़ावा 

बता दें कि भारत सहित अनेक देशों में विगत कई वर्षों से इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है प्रदूषण से मुक्ति पाना। दिल्ली शहर में प्रदूषण के कारण लोगों का सांस ले पाना भी दूभर हो जाता है। ऐसे में दो-वर्ष 2024 तक  दिल्ली में 25 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल का लक्ष्य रखा गया है। यही कारण है कि अरविंद केजरीवाल सरकार ने सीएनजी वाहनों और इलेक्ट्रिक वाहनों के परिचलन पर ही ज्यादा फोकस किया हुआ है। सरकार की ओर से ईवी को बढ़ावा देने के लिए पॉलिसी बनाई गई है। इसमें इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर सब्सिडी दी जा रही है। इसके अलावा रोड टैक्स एवं पंजीयन शुल्क में छूट प्रदान की गई है। तिपहिया वाहन खरीद पर 30 प्रतिशत की छूट है। वहीं चार पहिवा इलेक्ट्रिक वाहन पर 1.5 लाख रुपये तक की छूट का प्रावधान है 

दिल्ली में ईवी चार्जिंग स्टेशन के लिए यहां करें फोन 

बता दें कि दिल्ली में करीब 200 इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन हैं। यहां कई कंपनियां ईवी से जुड़ी परिशानियों के समाधान के लिए नये-नये सेंटर भी स्थापित कर रही हैं। बता दें कि टाटा नेक्सॉन कंपनी ने भी दिल्ली में चार्जिंग स्टेशन ढूंढने के लिए आसान तरीका बताया है। इसके लिए आप टाटा नेक्सॉन के पोर्टल पर जा कर संबंधित लिंक पर क्लिक करें। वहीं चार्जिंग लोकेटर पर क्लिक करके नजदीकी स्टेशन के बारे में जानकारी ले सकते हैं। इसके अलावा टोल फ्री नंबर 180020978282 पर फोन करें। 

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