भारत में इन 28 ऑटो पार्ट्स का होगा लोकल निर्माण, मेक इन इंडिया की बड़ी पहल
भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर में 'मेक इन इंडिया' की पहल को तेजी से लागू करने के उद्देश्य से भारत में ही पार्ट्स निर्माण को लेकर बड़ी तैयारी की जा रही है। बता दें ऑटो पार्ट्स निर्माण को लेकर हाल ही में ऑटोमोबाइल सेक्टर के 28 प्रमुख कंपोनेंट को चिन्हित किया गया है। सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के महानिदेशक राजेश मेनन ने बताया कि मेक इन इंडिया के पहल को तेज करने और भारतीय विकास दर को गति देने के लिए इन प्रमुख कंपोनेंट का निर्माण भारत में ही किया जाना महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा, अनुमान है कि मौजूदा लोकलाइजेशन के प्रयासों से विदेशी मुद्रा की और भी बचत की जा सकेगी। पहले ही हम इस तरह के प्रयास से 7,000 करोड़ रुपये के समतुल्य विदेशी मुद्रा की बचत कर चुके हैं। इससे भारत में रोजगार तो पैदा होगा ही, साथ ही लोकल निर्माण की वजह से हम भविष्य में वाहनों की महंगाई को भी नियंत्रित कर पाएंगे।
आयात पर निर्भरता होगी कम
बता दें कि मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) ने अपने कंपोनेंट प्रोवाइडर से यह रिक्वेस्ट किया है कि वे कंपोनेंट का निर्माण लोकली करें। जिसमें इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स भी शामिल है।
मेनन ने आगे बताया कि, लोकल लेवर पर पार्ट्स या कंपोनेंट के निर्माण और उपलब्धता से वाहन उद्योग की आयात पर से निर्भरता कम होगी। साथ ही भारत सरकार के 'आत्मनिर्भर भारत' की पहल को भी मजबूती मिलेगी। ओईएम की आयात पर निर्भरता कम होगी और ऑटो कंपोनेंट उद्योग की निर्माण और निर्यात क्षमता दोनों बढ़ेगी।
इन इन कंपोनेंट का होगा निर्माण
ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन, पावर कंट्रोल यूनिट, विभिन्न सेंसर, एक्चुएटर्स, मिनिएचर मोटर्स, कंबाइंड चार्जिंग सिस्टम और 6 और 10 लेयर प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (पीसीबी) आदि जरूरी कंपोनेंट का निर्माण किया जाएगा। मेनन ने आगे पीएलआई प्रोत्साहन स्कीम का जिक्र करते हुए बताया कि ऑटोमोटिव क्षेत्र में पीएलआई योजनाएं उन्नत ऑटो कंपोनेंट के लोकल निर्माण को प्रोत्साहित करने में सहायक सिद्ध हो रही है। कंपनियों को भारत में निवेश और निर्माण के लिए सभी जरूरी इको सिस्टम प्रदान किया जा रहा है।
इसके अलावा सनरूफ, एयर बैग, सीटबेल्ट, इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल यूनिट, पावर स्टीयरिंग मोटर कंट्रोल यूनिट, दोपहिया ईवी मोटर, यूरिया टैंक सिस्टम और एल्यूमीनियम मिश्र धातु पहियों का भारत में निर्माण वर्तमान में तेजी से किया जा रहा हैं।
2025 तक 20% तक कम होगी इंपोर्ट
ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ACMA) के सदस्यों के साथ SIAM के सभी OEMs ने लोकलाइजेशन रोडमैप' पर अपनी सहमति व्यक्त की। इस प्लान के तहत 2025 तक ऑटो पार्ट्स के इंपोर्ट को 16-20% तक कम कर दिया जाएगा।बता दें कि भारत का ऑटोमोबाइल सेक्टर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उद्योग बन चुका है। वर्तमान में, इस क्षेत्र का कारोबार $180 बिलियन से ज्यादा है और मैन्युफैक्चरिंग जीडीपी में इसका योगदान लगभग 40% है।
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