दिसंबर 2021 में पुणे में 6 हज़ार इलेक्ट्रिक वाहनों का पंजीकरण
देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें कई तरह की योजनाएं चल रही हैं। इन योजनाओं के चलते ई-व्हीकल्स की बिक्री भी बढ़ रही है लेकिन कई बार स्थानीय यातायात पुलिस के नियम इस तरह से आड़े आ गए कि ई-वाहनों की बिक्री पर इनका सीधा असर पड़ा है। यहां बात करते हैं पुणे की जहां 27 दिसंबर 2021 तक क्षेत्रीय परिवहन विभाग कार्यालय में करीब 6,000 इलेक्ट्रिक वाहनों का पंजीकरण किया गया था। वहीं पिंपरी एवं चिंचवाड़ आरटीओ ने 44,00 ई वाहनों को पंजीकृत किया गया था। इसके बावजूद ई रिक्शा के खरीदारों की कमी खलती रह गई। ई रिक्शा के कुछ खरीदार ही मिल पाए। ई-रिक्शा की बिक्री कम होने का मुख्य कारण ट्रैफिक पुलिस के कुछ नियम भी माने जा रहे हैं। आइए, जानते हैं कैसे पुणे में इलेक्ट्रिक वाहनों के पंजीकरण में वृद्धि के बीच ई- रिक्शा सडक़ों पर कम कैसे दिखाई दिए।
कुछ मार्गों पर ही ई रिक्शा चलाने की अनुमति
बता दें कि पुणे के चिंचवाड़ और पिंपरी में ई रिक्शा अन्य इलेक्ट्रिक वाहनों के मुकाबले अधिक लोकप्रिय क्यों नहीं हो पाएं? इसके पीछे ट्रैफिक पुलिस के नियम काफी हद तक इसका कारण माने जा रहे हैं। स्थानीय यातायात पुलिस विभाग द्वारा तय किए गए नियमों के अनुसार राज्य में यात्रियों के लिए ई- रिक्शा केवल चुनिंदा मार्गों पर ही संचालित किए जा सकते हैं। इनमें से अधिकांश वाहनों में पर्याप्त गति भी नहीं होती जिससे यातायात बाधित हो जाता है। वर्ष 2021 में पुणे में इलेक्ट्रिक वाहन के सबसे अधिक रजिस्ट्रेशन हुए। इनमें चिंचवाड़ और पुणे में करीब 44,00 ई वाहन शामिल थे। इसके बावजूद ई-रिक्शा की बिक्री कम होने के पीछे यातायात पुलिस के नियम ही कहीं ना कहीं आड़े आए हैं। इस संबंध में पुणे के डिप्टी आरटीओ संजीव भोर का कहना है कि ई-रिक्शा के अधिकांश मॉडलों में पर्याप्त गति का भी अभाव है वहीं नये मॉडल एलएम-5 जो कि एक ऑटोरिक्शा की तरह ही दिखता है इसमें शक्ति और गति दोनों है।
इन उच्च परिवहन अधिकारियों ने यह कहा
दिसंबर 2021 में पुणे आरटीओ में ई वाहनों के अधिक संख्या में पंजीकरण होने के बाद भी पिंपरी और चिंचवाड़ में ई -रिक्शा अधिक संख्या में क्यों नहीं चल पाए? इस संबंध में परिवहन आयुक्त अविनाश ढकने ने कहा है कि यातायात पुलिस द्वारा तय किए गए निर्धारित मार्गों पर ही ई रिक्शा चलाने की अनुमति थी। एक अन्य आरटीओ का यह भी कहना था कि वर्ष 2017 में शहर यातायात पुलिस के साथ समन्वय में पुणे आरटीओ द्वारा लगभग 17 मार्गों का चयन किया गया था। ऐसे वाहनों की चार्जिंग और लागत को लेकर चिंता स्वाभाविक भी है। इसीलिए ये वाहन अधिक लोकप्रिय नहीं हो पाए।
ई रिक्शा संचालकों ने इन्हे ठहराया जिम्मेदार
बता दें कि जिन लोगों ने ई रिक्शा वाहन खरीदे उन्हे पुणे की चिंचवाड़ और पिंपरी की यातायात पुलिस ने चुनिंदा रूटों पर ही चलने की अनुमति दी। इससे इन लोगों की कमाई भी प्रभावित हुई। इनका कहना है कि नियमित ऑटो संचालक और यूनियनों का दखल इसके लिए जिम्मेदार है जबकि ई- रिक्शा लगभग 5 वर्षों से कई शहरों में सफलतापूर्वक चल रहे हैं। उन्हे नियमित ऑटो रिक्शा चालकों की तरह चलने की अनुमति नहीं थी। उन लोगों को ई रिक्शा वालों से एकाधिकार समाप्त होने का खतरा था। वहीं परिवहन अधिकारियों का उचित समर्थन नहीं मिलने के अलावा प्रशासन द्वारा योजना नहीं बनाना आदि कई कारण बताए जा रहे हैं।
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