एनएचएआई ला रहा मल्टी-लेन फ्री फ्लो टोल सिस्टम, जानें इसके फायदे और खासियतें
भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों में बदलाव लाने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) एक नई पहल शुरू करने जा रहा है, जिसके तहत द्वारका एक्सप्रेसवे पर टोल प्लाजा खत्म हो सकते हैं। यह कदम केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी द्वारा बार-बार कही गई इस बात को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है कि भविष्य में भारत में सभी टोल प्लाजा हटाए जाएंगे। इस नई योजना के अंतर्गत भारत की पहली मल्टी-लेन फ्री फ्लो (एमएलएफएफ) टोल संग्रह प्रणाली लागू की जा रही है। यह प्रणाली टोल बूथों पर बिना रुकावट के टोल कटौती को सुनिश्चित करेगी। इस सिस्टम में एक्सप्रेसवे से गुजरते समय वाहनों का डेटा सीधे बैंकों तक भेजा जाएगा, जो टोल शुल्क को स्वचालित रूप से काट लेंगे।
पारदर्शिता और भविष्य के लक्ष्य
एनएचएआई का विजन द्वारका एक्सप्रेसवे तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसकी योजना इस प्रणाली को भारत के अन्य प्रमुख एक्सप्रेसवे पर लागू करने की है। इस नई पहल से न केवल टोल संग्रह प्रणाली में पारदर्शिता आएगी, बल्कि बैंकों पर भारतीय रिजर्व बैंक की निगरानी होने से किसी भी प्रकार की अनियमितता की संभावना भी कम हो जाएगी। जैसे-जैसे यह परियोजना आगे बढ़ेगी, भारत के एक्सप्रेसवे अधिक कुशल और उपयोगकर्ताओं के लिए सहज टोल कलेक्शन सिस्टम का अनुभव कर सकेंगे, जो पारंपरिक टोल प्लाजा के अंत की शुरुआत करेगा। इस नई व्यवस्था से न केवल टोल संग्रह की प्रक्रिया में सुधार होगा, बल्कि देश के हाईवे नेटवर्क में भी एक नए युग की शुरुआत होगी।
बैंकों और एनएचएआई की बढ़ेगी भूमिका
इस डायरेक्ट टोल कलेक्शन प्रणाली में भारतीय बैंक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, भले ही इस क्षेत्र में उनका अनुभव कम हो। इस अंतर को दूर करने के लिए एनएचएआई की सहायक कंपनी, भारतीय राजमार्ग प्रबंधन कंपनी लिमिटेड (आईएचएमसीएल) ने निर्णय लिया है कि एक उप ठेकेदार को नियुक्त किया जाएगा, जिसका मल्टी-लेन फ्री फ्लो टोल प्रणाली को लागू करने में एक मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड हो। ऐसे उप ठेकेदार को कम से कम 200 किलोमीटर का अनुभव और एक दशक का ऑपरेशनल इतिहास होना आवश्यक है, जिससे इस परियोजना को सफलतापूर्वक अंजाम दिया जा सके।
क्या होगा फास्टैग का भविष्य और बैंकिंग भागीदारी
यह एमएलएफएफ प्रणाली मौजूदा फास्टटैग प्रणाली के साथ एकीकृत की जाएगी। यह उन यूजर्स के लिए सहज रहेगा जो पहले से फास्टटैग का उपयोग कर रहे हैं। इस प्रणाली के माध्यम से टोल भुगतान और अनुपालन की निगरानी भी वाहन पोर्टल और ऐप्स के माध्यम से की जाएगी।
द्वारका एक्सप्रेसवे पर परियोजना का परीक्षण
28 किलोमीटर लंबा द्वारका एक्सप्रेसवे इस नई एमएलएफएफ प्रणाली का पहला परीक्षण क्षेत्र होगा। वर्तमान में, इस एक्सप्रेसवे पर दिल्ली-गुड़गांव सीमा पर एक टोल प्लाजा है, जहां वाहन चालकों को रुककर भुगतान करना पड़ता है। नई प्रणाली के लागू होने के बाद, इस प्रक्रिया में आमूलचूल बदलाव होगा, और वाहन बिना रुके अपने गंतव्य तक पहुंच सकेंगे। इस परियोजना के सफलतापूर्वक लागू होने के लिए एनएचएआई ने तीन साल का अनुबंध तय किया है, और अपेक्षा है कि अगले तीन महीनों के भीतर यह प्रणाली चालू हो जाएगी।
फास्टैग का क्या होगा भविष्य?
बहुत से लोगों के मन में यह सवाल है कि इस नई प्रणाली के लागू होने के बाद फास्टटैग का क्या होगा। एनएचएआई ने स्पष्ट किया है कि फास्टटैग प्रणाली अभी भी जारी रहेगी और इसे नई एमएलएफएफ प्रणाली के साथ एकीकृत किया जाएगा। यह नई प्रणाली फास्टटैग वॉलेट से स्वचालित टोल कटौती की अनुमति देगी, जिससे उन यूजर्स के लिए एक सहज अनुभव होगा जो पहले से ही फास्टटैग का उपयोग कर रहे हैं। साथ ही, टोल भुगतान और अनुपालन की निगरानी भी वाहनों के पोर्टल और ऐप के माध्यम से की जाएगी, जिससे एनओसी और फिटनेस प्रमाणपत्र भी भुगतान से जुड़े रहेंगे।
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