टाटा मोटर्स के डीमर्जर के बाद इन कंपनियों के बोर्ड में भी होगा बदलाव
देश की सबसे बड़ी कमर्शियल व्हीकल कंपनी टाटा मोटर्स जल्द ही दो भागों में बंट जाएगी। टाटा मोटर्स के लिए एक होल्डिंग कंपनी बनाने की तैयारी शुरू हो चुकी है। इस होल्डिंग कंपनी में टाटा मोटर्स के पैसेंजर व्हीकल और कमर्शियल व्हीकल के कारोबार को शामिल किया जाएगा। इन्हें दो अलग-अलग संस्थाओं के रूप में रजिस्टर्ड किया जा रहा है। टाटा समूह के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन इस होल्डिंग कंपनी के चेयरमैन होंगे, जबकि अन्य प्रमुख अधिकारी भी इसमें शामिल किए जाएंगे। मैनेजमेंट को उम्मीद है कि 2025-26 की पहली तिमाही में यह डीमर्जर पूरा हो जाएगा और यह दोनों व्यवसायों के लिए स्वतंत्र कैपिटल स्ट्रक्चर को अनलॉक करेगा। ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार इस नए स्ट्रक्टर के निर्माण के बाद इन संस्थाओं के बोर्ड में भी बदलाव किया जाएगा। इस डिमर्जर का श्रेय टाटा मोटर्स के चीफ फाइनेंस ऑफिसर पीबी बालाजी को दिया जाता है। उम्मीद है कि उन्हें पैसेंजर वाहन यूनिट की कमान मिल सकती है।
स्वतंत्र रूप से पूंजी जुटाने में मिलेगी मदद
टाटा मोटर्स के इस डिमर्जर (Tata Motors Demerger) के बाद एक कंपनी कमर्शियल व्हीकल्स के बिजनेस और उससे जुड़े निवेश को देखेगी। वहीं दूसरी कंपनी पैसेंजर व्हीकल्स बिजनेस जिसमें इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, जागुआर और लैंड रोवर और उससे जुड़ा इनवेस्टमेंट संभालेगी। डीमर्जर से टाटा मोटर्स को पैसेंजर व्हीकल और कमर्शियल व्हीकल कारोबार के लिए स्वतंत्र रूप से पूंजी जुटाने में मदद मिलने की उम्मीद है। यहां आपको बता दें कि टाटा मोटर्स का पैसेंजर व्हीकल्स, कमर्शियल व्हीकल्स और जेएलआर बिजनेस 2021 से ही अलग-अलग सीईओ द्वारा संचालित किया जा रहा है।
सब कुछ बंट जाएगा लेकिन शेयर धारकों के हितों पर नहीं पड़ेगा प्रभाव
टाटा मोटर्स के बोर्ड ने मार्च 2024 में कंपनी के ऑपरेशन्स को दो भागों में बांटने की मंजूरी दी थी। यह कंपनियां शेयर बाजार में लिस्ट होंगी। इस बंटवारे से कंपनी के शेयर धारकों के हितों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। टाटा मोटर्स के सभी शेयर धारकों की दोनों नई लिस्टेड कंपनियों में हिस्सेदारी बनी रहेगी। यानी जिनके पास टाटा मोटर्स के शेयर हैं उन्हें दोनों कंपनियों के शेयर मिलेंगे। टाटा मोटर्स भारत में सीवी, पीवी और ईवी का कारोबार कर रही है। वर्तमान में यह कंपनी 1,000 करोड़ की पॉजिटिव नकदी के साथ ऋण-मुक्त है। सीवी और पीवी के बीच मौजूदा एसेट विभाजन 60:40 है। इस डीमर्जर का कोई भी नकारात्मक प्रभाव कर्मचारियों, ग्राहकों और बिजनेस पार्टनर्स पर नहीं पड़ेगा।
अब तक का सबसे अधिक कंसोलिडेटेड रेवेन्यू
टाटा मोटर्स ने FY 2024 में 4.38 लाख करोड़ रुपए का अपना अब तक का सबसे अधिक कंसोलिडेटेड रेवेन्यू दर्ज किया है। इस रेवेन्यू में जेएलआर ने 70 फीसदी का योगदान दिया है। उसके बाद कमर्शियल व्हीकल ने 18 फीसदी और नॉन-जेएलआर पर्सनल व्हीकल बिजनेस ने 12 फीसदी का योगदान दिया। इस डीमर्जर के बाद दोनों ही कंपनियां (पीवी और सीवी) अपनी अलग-अलग स्ट्रैटजी बना सकेंगी। फिलहाल टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट से ज्यादा मुनाफा कमा रहा है। इसमें यूके स्थित लग्जरी-वाहन निर्माता जेएलआर का रेवेन्यू काफी महत्वपूर्ण है और यह मुख्य रूप से कमाई में योगदान करने वाला सेगमेंट है।
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