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आईआईटी दिल्ली की नई खोज : सस्ती और टिकाऊ सोडियम सल्फर बैटरी

Posted On : 22 August, 2024

आईआईटी दिल्ली ने की सस्ती और टिकाऊ बैटरी तकनीक पर महत्वपूर्ण स्टडी

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के शोधकर्ताओं ने सोडियम-सल्फर (आरटी-एनए/एस) बैटरी के बारे में एक नया अध्ययन जारी किया जो लिथियम-आयन बैटरी का विकल्प विकसित करने का मार्ग प्रशस्त करेगा। यह बैटरी तकनीक लिथियम आयन बैटरी को रिप्लेस कर सकती है और भविष्य में ज्यादा टिकाऊ बैटरी का समाधान पेश कर सकती है। आईआईटी दिल्ली ने इस तकनीक पर विस्तृत स्टडी की है और इसका रिसर्च जारी किया है।

लिथियम आयन बैटरी को लेकर बड़ी चुनौती यह है कि यह महंगी होती है और उपभोक्ता सस्ती बैटरी के साथ लगातार ज्यादा क्षमता वाली बैटरी की मांग कर रहे हैं। यही वजह है जिसने निर्माताओं को वैकल्पिक बैटरी तकनीक की तलाश करने के लिए मजबूर किया है।

सोडियम सल्फर बैटरी है सस्ता और टिकाऊ

शोधकर्ताओं की टीम ने कहा कि सोडियम-सल्फर (आरटी-एनए/एस) बैटरी प्रचुर मात्रा में और इलेक्ट्रोड सामग्री के साथ सोडियम और सल्फर के रूप में एक संभावित सस्ता विकल्प साबित हो सकती हैं। यह बैटरी भारत के ज्यादा तापमान वाले समय में भी ज्यादा कूलिंग की मांग नहीं करती। लिथियम आयन बैटरी की अपेक्षा यह ज्यादा कूल होती है। साथ ही इसकी रासायनिक प्रतिक्रिया इन्हें लिथियम-आयन बैटरी की तुलना में बहुत ज्यादा ऊर्जा संग्रहीत करने में सक्षम बनाता है।

शोध की ये है प्रमुख बातें

इस शोध में, जो "जर्नल ऑफ मैटेरियल्स केमिस्ट्री" में प्रकाशित हुआ है, टीम ने सोडियम-सल्फर बैटरी टेक्नोलॉजी को अधिक स्थिर बनाने के लिए एक खास तकनीक का उपयोग किया है। इस प्रक्रिया में रिसर्चर ने बिस्मथ आयोडाइड (BiI3) को इलेक्ट्रोलाइट में मिलाया।

सोडियम डेंड्राइट्स (जो बैटरी के अंदर छोटे क्रिस्टल की तरह होते हैं और शॉर्ट सर्किट का कारण बन सकते हैं) को बढ़ने से रोकने के लिए, इस योजक का उपयोग किया गया है। BiI3 सोडियम आयनों को बैटरी के इलेक्ट्रोड में आसानी से प्रवेश करने में मदद करता है, जिससे बैटरी की दक्षता बढ़ती है और चार्जिंग का समय कम होता है।

आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर विपिन कुमार ने क्या कहा, जानिए

आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर विपिन कुमार ने कहा, यह शोध दिखाता है कि किस प्रकार साधारण और सुरक्षित सामग्रियों (जैसे सोडियम और सल्फर) के साथ काम करके, और BiI3 जैसे योजक का उपयोग करके, हम एक ऐसे भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं जहां सभी के लिए स्थायी ऊर्जा का भंडारण संभव हो।

बता दें कि इस तकनीक से बनी बैटरी कमरे के तापमान पर काम करने वाली सोडियम-सल्फर बैटरी, इलेक्ट्रिक कमर्शियल व्हीकल्स और ऊर्जा ग्रिड जैसी बड़ी सिस्टम में उपयोग करने के लिए आदर्श मानी जा रही है।

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