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आईआईटी मद्रास इलेक्ट्रिक वाहनों पर शुरू करेगा मास्टर प्रोग्राम

Posted On : 05 January, 2022

अब इलेक्ट्रिक वाहनों पर रिसर्च करेंगे आईआईटी मद्रास के छात्र

भारत में तेजी से बढ़ रहे इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल से जहां एक ओर इन वाहनों की बैटरी चार्जिंग के लिए अनेक कंपनियों और सरकार के स्तर पर इंफ्रास्ट्रैक्चर का विस्तार हो रहा है वहीं अब इलेक्ट्रिक वाहनों पर रिसर्च किया जाएगा। बता दें कि भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान मद्रास ने इलेक्ट्रिक वाहनों पर एक अंत: विषय मास्टर प्रोग्राम शुरू करने का प्रस्ताव दिया है। इसका मुख्य उद्देश्य आईआईटी छात्रों को इलेक्ट्रिक वाहनों पर शोध करने का अवसर देना है। वहीं दोहरी डिग्री (आईडीडीडी ) बीटैक एवं दोहरी डिग्री छात्रों के लिए उनकी शोध क्षमताओं को बढ़ाने की पेशकश की जाएगी। वर्ष 2022 के जनवरी माह से ही मद्रास आईआईटी की ओर से छात्रों को सहयोग एवं कौशल सिखाने के लिए थर्ड ईयर में नामांकन कराने का अवसर दिया है। आइए, जानते हैं IIT मद्रास (IIT Madras) के इस प्लान पर कैसे होगा काम? 

प्रारंभिक स्तर पर 25 छात्रों को मिलेगा प्रवेश 

बता दें कि आईआईटी मद्रास (IIT Madras) की ओर से इलेक्ट्रिक वाहनों पर शोध कार्य कराने की योजना के तहत आरंभ में 25 छात्रों को इस कोर्स में प्रवेश दिया जाएगा। कार्यक्रम के अंतर्गत स्नातकों के पास इलेक्ट्रिक वाहन उत्पाद विकास, इलेक्ट्रिक वाहन एकीकरण, वाहन कुल इंजीनियरिंग, संचार और सत्यापन एवं उत्पाद सहित पोर्टफोलियो योजना में काम करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण आदि के कौशल पर फोकस रहेगा। इंजीनियरिंग डिजायन विभाग के प्रमुख टी अशोकन के अनुसार आठ विभाग एक छात्र इंजीनियर वाहनों के लिए आवश्यक कौशल को शामिल करने के लिए सहयोग करेगा। 

ई- मोबिलिटी स्पेस में अनेक संरचनाओं पर होगा शोध 

आईआईटी मद्रास (IIT Madras) के इंजीनियरिंग डिजाइन विभाग के प्रमुख टी.अशोकन के अनुसार आठ विभाग इंजीनियरिंग इलेक्ट्रिक वाहन के आवश्यक कौशल को शामिल करने के लिए सहयोग कर रहे थे। इंजीनियरिंग डिजाइन विभाग इस कार्यक्रम का संचालन करेगा। इसे विभिन्न विभागों के संयुक्त प्रयास के रूप में वितरित किया जाएगा। वहीं इंजीनियरिंग डिजायन विभाग के फैकल्टी सीएस शंकरराम ने कहा है कि जो छात्र कोर कोर्स से गुजरते हैं, वे इंजीनियरिंग की नींव रखेंगे। वे अपनी पसंद के विशेषज्ञता के खास क्षेत्र में अनुसरण  करेंगे। 

बैटरी इंजीनियरिंग और मोबिलिटी क्षमताओं का होगा विकास 

आईआईटी मद्रास द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों पर शोध करने के लिए जिन छात्रों को इस प्रोग्राम में प्रवेश दिया जाएगा उन्हे इन वर्षों में संस्थान अपने विभिन्न केंद्रो पर भेजा जाएगा। यहां ये छात्र कार्यक्रमों के माध्यम से बैटरी इंजीनियरिंग एवं इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए क्षमताओं  का निर्माण करेंगे। इसके साथ ही इनक्यूबेशन सेल के माध्यम से ई मोबिलिटी स्पेस में कई स्टार्ट-अप को इनक्यूबेट कर रहा है। 

इलेक्ट्रिक वाहनों पर अधिक निवेश और शोध की जरूरत 

यहां बता दें कि इलेक्ट्रिक वाहनों  को बढ़ावा देने के लिए भारत में केंद्र और राज्य सरकारें निरंतर प्रयासरत हैं। वहीं कई बड़ी वाहन निर्माता कंपनियों की ओर से ईवी बाजार में निवेश भी किया जा रहा है लेकिन इसे और अधिक प्रोत्साहन की जरूरत बनी हुई है।  ईवी क्षेत्र में नवीन शोध और निवेश की विपुल संभावनाएं हैं। यदि शोध कार्य और इनवेस्टमेंट का क्रम जारी रहा तो निश्चित तौर पर भारत इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण में तेजी से उभरेगा। 

क्यों मिलना चाहिए ईवी को बढ़ावा? 

बता दें कि  इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए कई प्रकार के तर्क हैं। सबसे पहला तर्क तो यही कि इलेक्ट्रिक वाहन वायु प्रदूषण को पूरी तरह से नियंत्रित करते हैं। वहीं ऊर्जा सुरक्षा की चुनौतियां आदि कई ऐसे कारण है जो खनिज तेल और इसके आयात पर निर्भरता प्रदान करते हैं। डीजल और पेट्रोल वाहनों के विकल्प के तौर पर सबसे कारगर वाहन इलेक्ट्रिक ही हैं। ऐसे में परिवहन क्षेत्र को इस बदलाव को और अधिक प्रोत्साहित करने की जरूरत बनी हुई है।  

ये हैं इलेक्ट्रिक वाहनों के फायदे 

यहां बता दें कि इलेक्ट्रिक वाहनों के कई प्रकार के फायदे हैं। हाल ही ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान द्वारा जारी एक विश्लेषण के अनुसार इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने से प्रदूषण में गिरावट के साथ तेल के आयात में कमी लाने, कार्बन उत्सर्जन और सडक़ जाम में कमी करने में सहायता प्राप्त होगी। इसके अलावा वल्र्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण के मामले में विश्व के सबसे अधिक प्रदूषित 30 शहरों में से 21 भारत में हैं। इन शहरों को प्रदूषण से मुक्त कराने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों का अधिक से अधिक इस्तेमाल और रजिस्टे्रेशन जरूरी है। 

इलेक्ट्रिक वाहनों में वृद्धि से होगी ऊर्जा सुरक्षा 

जैसे-जैसे इलेक्ट्रिक वाहनों का संचालन ज्यादा होगा वैसे-वैसे भारत में  तेल आयात की निर्भरता कम होती जाएगी। बता दें कि देश भर में वाहन खरीदने वाले लोगों की संख्या के साथ ही तेल की कीमतों में भी उछाल आ जाता है। वहीं यदि डीजल और पेट्रोल की जगह इलेक्ट्रिक वाहन ही अनिवार्य कर दिए  जाएं तो स्वत: ही ईंधन की भारी बचत होगी। 

अभी हैं इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर कई चुनौतियां

भारत के संदर्भ में यदि इलेक्ट्रिक वाहनों के अधिक चलन की बात की जाए तो इसमे  कोई दोराय नही है कि अभी इन वाहनों के संचालन में कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। खास तौर पर  चार्जिंग अवसंरचना की कमी सबसे बड़ी बाधा है। इसके लिए पर्याप्त संख्या में चार्जिंग स्टेशन एवं प्वाइंट्स का होना आवश्यक है। वहीं इलेक्ट्रिक वाहनों की उच्च लागत होने से भी लोग अभी इन्हे खरीदने से कतराते हैं।  इनके अलावा ऑटोमोबाइल क्षेत्र में व्यवधान, चार्जिंग तंत्र अवसंचना विस्तार, इलेक्ट्रिक वाहनों के कलपुर्जों के लिए चीन पर निर्भरता, बैटरी हस्तांतरण प्रणाली का अभाव  आदि ऐसे कारण हैं  भारत में इलेक्ट्रिक वाहन क्रांति में बाधक बन रहे हैं। 

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