ईवी एक्सपो-2024 में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने रखे अपने विचार
इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट में भारत की ग्रोथ ने दुनियाभर को अचंभित कर दिया है। इलेक्ट्रिक वाहनों के मामले में अमेरिका और चीन के बाद भारत अभी तीसरे नंबर पर है। भारत ने हाल ही में जापान को पीछे छोड़ा है और अब चीन को पीछे छोड़ने की बारी है। यह कहना है केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी का। गडकरी ने ई-वाहन उद्योग की स्थिरता पर 8वें कैटलिस्ट कॉन्फ्रेंस- ईवी एक्सपो-2024 को संबोधित करते यह बात कही। इस दौरान उन्होंने इंडियन ईवी मार्केट की ग्रोथ के बारे बताया।
साल 2030 तक 20 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचेगा इंडियन ईवी बाजार
ईवी एक्सपो-2024 में गडकरी ने कहा कि भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन बाजार का आकार 2030 तक 20 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है। इससे समूचे ईवी परिवेश में करीब पांच करोड़ नौकरियों के अवसर सामने आएंगे। अनुमान है कि 2030 तक इलेक्ट्रिक वाहन के फाइनेंस बाजार का आकार करीब चार लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। गडकरी ने कहा कि भारतीय इलेक्ट्रिक व्हीकल उद्योग में वर्तमान उत्पादन की तुलना में 10 गुना अधिक विकास करने की क्षमता है, उन्होंने कहा कि भारत को वैश्विक ईवी बाजार पर कब्जा करने की जरूरत है।
5 साल में नंबर वन की पॉजिशन पर पहुंच सकता है भारत
गडकरी के अनुसार, “ईवी की मांग अभी बढ़ेगी और यह उद्योग के विस्तार के लिए उपयुक्त समय है। वर्तमान में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के साथ लगातार आगे बढ़ रहा है, जो ईवी के विस्तार के साथ अगले 5 साल में नंबर वन की पॉजिशन पर पहुंच जाएगा।”
उन्होंने ईवी कंपनियों से कहा कि क्वालिटी से समझौता किए बिना हमें अपने कारखानों और प्रोडक्ट का विस्तार करना है। विश्व बाजार पर कब्जा करने के लिए हमें सबसे अच्छी तकनीक बनानी होगी।
यह है अमेरिका और चीन के कारोबार का आकार
उन्होंने आगे कहा कि 2014 में जब उन्होंने परिवहन मंत्री का कार्यभार संभाला था तब मोटर वाहन इंडस्ट्री का साइज 7 लाख करोड़ रुपये था। आज मोटर वाहन इंडस्टी का आकार 22 लाख करोड़ रुपये है। हम दुनिया में तीसरे स्थान पर हैं। हाल ही में जापान को पीछे छोड़ चुके हैं। इस सूची में 78 लाख करोड़ रुपये के मोटर वाहन उद्योग के साथ अमेरिका पहले स्थान पर और चीन 47 लाख करोड़ रुपये के साथ दूसरे स्थान पर है।
बैटरी का निर्माण सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण
गड़करी ने कहा, "भारत में बैटरी का निर्माण महत्वपूर्ण है। टाटा, अडानी और मारुति जैसी कंपनियां पहले से ही बैटरी विकसित करने की प्रक्रिया में हैं। भारत में दुनिया के 6% लिथियम भंडार भी हैं।" उन्होंने कंपनियों कों लिथियम-आयन बैटरी के अलावा सोडियम-आयन और जिंक-आयन बैटरी पर शोध और विकास करने के लिए प्रोत्साहित किया।
उन्होंने आगे कहा कि हम 22 लाख करोड़ रुपये मूल्य के जीवाश्म ईंधन का आयात करते हैं। यह आयात हमारे देश में कई समस्याएं उत्पन्न कर रहा है। सरकार हरित ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित कर रही है क्योंकि भारत की 44 प्रतिशत बिजली की खपत सौर ऊर्जा पर आधारित है।
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