संसदीय समिति ने की ईवी को बढ़ावा देने की सिफारिश
वर्तमान में पूरे भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को अपनाने की मुहिम चल रही है। पर्यावरण संवर्धन की दृष्टि से वाहन इंजन के शून्य उत्सर्जन की सरकार की नीति के तहत ईवी के अधिक से अधिक इस्तेमाल को जरूरी माना जा रहा है। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने अलग-अलग ईवी पॉलिसी भी लागू कर रखी है। अब संसदीय समिति ने सिफारिश की है कि देश में यदि इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को बढ़ावा दिया जाना है तो इसके लिए जीएसटी में कटौती करना और सब्सिडी बढ़ाई जाए। आइए जानते हैं संसदीय समिति की की यह नई सिफारिश क्या है? इसका मुख्य उद्देश्य और सिफारिशों से इलेक्ट्रिक व्हीकल्स किस तरह से बढ़ावा मिल सकेगा?
FAME-II के तहत थ्री और फोर व्हीलर्स को मिलेगा बढ़ावा
संसदीय समिति की ओर से सरकार को FAME-II के तहत अब इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की तरह ही निजी इलेक्ट्रिक थ्री व्हीलर्स और फोर व्हीलर्स की खरीद पर भी सब्सिडी अधिक देने एवं जीएसटी में कटौती करने की सिफारिश की गई है। इससे इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री को बल मिलेगा साथ ही लोगों को इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को लेेकर एक प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण भी मिलेगा.
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चाइल्ड पार्ट्स का भारत में ही हो निर्माण
इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए संसदीय समिति की ओर से की गई सिफारिशों मेंं यह भी शामिल है कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के पार्ट्स का स्थानीय स्तर अधिक निर्माण किया जाए। इससे चीन सहित अन्य कई देशों से ईवी के छोटे कलपुर्जे आयात करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वहीं वर्तमान में चाइल्ड पार्ट्स का आयात शुल्क चरणबद्ध तरीके से किया जाए। बता दें कि चाइल्ड पार्ट्स वे छोटे हिस्से होते हैं जो वाहन के महत्वपूर्ण हिस्सों को बनाने के लिए एक साथ इकट्ठे किए जाते हैं। समिति ने कहा है कि इसका ध्यान रखा जाना चाहिए।
हाईब्रिड इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी दर कम हो
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री और इनके इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए संसदीय समिति के पैनल ने यह सुझाव भी दिया है कि हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी दरों को कम किया जाए। बता दें कि वर्तमान में बड़े हाईब्रिड इलेक्ट्रिक वाहनों पर 43 प्रतिशत कुल टैक्स लगाया जाता है। इसमें 28 प्रतिशत जीएसटी और 15 प्रतिशत सेस शामिल है।
हाईब्रिड इलेक्ट्रिक वाहनों से होती है ऊर्जा की बचत
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने एवं इनकी बिक्री बढ़ाने के लिए संसदीय स्थायी समिति का कहना है कि इलेक्ट्रिक वाहन ऊर्जा की कम खपत करते हैं। यहां तक कि इनमें 75 प्रतिशत ऊर्जा कम हो जाती है। हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन बिना किसी बाहरी चार्जर के आईसीई के मुकाबले ऊर्जा खपत को 30 से 45 प्रतिशत तक कम कर देते हैं। यही कारण है कि इलेक्ट्रिक वाहनों की तरह ही एचईवी भी जीएसटी दर के मामले छूट के हकदार हैं। हाईब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन का जीएसटी समर्थन पूरे ईको सिस्टम के विकास में सहायक होगा। इससे इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की गति बढ़ेगी।
ईवी उद्योग के विस्तार के लिए एक नीति, एक भारत जरूरी
यहां बता दें कि संसदीय समिति की ईवी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए एक भारत, एक नीति बनाए जाने की भी सिफारिश की है। यह तभी संभव होगा जब पूरे भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को व्यापक संख्या में अपनाया जाएगा। इलेक्ट्रिक वाहनों की भागीदारी बढ़ाने के लिए एक केंद्रित रणनीति की आवश्यकता है। वहीं पर्याप्त सब्सिडी एवं वित्त पोषण की नीति अपनानी होगी।
इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर सब्सिडी में दिल्ली सबसे आगे
बता दें कि एक तरफ इलेक्ट्रिक सेगमेंट वाले वाहनों के निर्माण में लागत अधिक आने के कारण इन वाहनों की कीमतें ज्यादा होती हैं। ऐसे में लोगों को वाहन खरीदने में आर्थिक परेशानी होती है। दूसरी ओर भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा दिया जा रहा है। केंद्र सरकार की फेम योजना द्वितीय के अंतर्गत ईवी की खरीद पर छूट प्रदान की गई है। यह छूट सब्सिडी के तौर पर अलग-अलग राज्य अपनी पॉलिसी के अनुसार प्रदान करते हैं। सब्सिडी के कारण इलेक्ट्रिक वाहन खरीदना किफायती हो जाता है।
देश में दिल्ली के बाद महाराष्ट्र इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर सबसे अधिक सब्सिडी प्रदान करता है। दिल्ली में 5,000 रुपये प्रति किलोवाट और अधिकतम 30,000 रुपये का इंसेंटिव प्रदान किया जाता है। वहीं दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र में कुल सब्सिडी 15,000 रुपये तक की सब्सिडी दी जाती है। अभी तक ज्यादातर राज्य दोपहिया वाहनों पर ही सब्सिडी दे रहे हैं लेकिन संसदीय समिति की सिफारिश है कि दोपहिया वाहनों की तरह थ्री व्हीलर्स और चौपहिया वाहनों की खरीद पर भी सब्सिडी बढ़ाई जाए।
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