बिना इंश्योरेंस के वाहनों पर होगी कार्रवाई, जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
भारत में पीयूसी सर्टिफिकेट या मोटर वाहन इंश्योरेंस को लेकर नियमों में सख्ती लाए जाने के लिए तरह-तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। हाल ही में सुप्रीम अदालत ने इस मामले में सुनवाई करते हुए एक टिप्पणी की है और केंद्र सरकार से भी इस मामले में सवाल किया गया है। अगर आप वाहन मालिक हैं तो आपको सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी को जरूर जान लेना चाहिए, ताकि भविष्य में वाहनों के इंश्योरेंस को लेकर आपको किसी तरह की समस्या का सामना न करना पड़े।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सबसे पहले पीयूसी यानी प्रदूषण नियंत्रण मानकों और वाहनों के इंश्योरेंस को लेकर सही संतुलन बनाया जाना जरूरी है। देश की 100% गाड़ियां वाहन प्रदूषण नियंत्रण (पीयूसी) मानदंडों के अनुरूप रहे और साथ ही उनका थर्ड पार्टी बीमा भी सुनिश्चित हो। सुप्रीम अदालत में बिना बीमा या पीयूसी वाले वाहनों के लिए सख्त कार्रवाई की मांग भी की गई है।
किस मामले में हो रही थी सुनवाई?
जस्टिस ए. एस. ओका और उज्ज्वल भुइयां की बेंज द्वारा ये टिप्पणी 10 अगस्त 2017 को हुए एक आदेश के आलोक में संशोधन का आग्रह करने हेतु दायर एक आवेदन पर सुनवाई करते हुए की। उस आदेश में कहा गया है कि बीमा कंपनियां किसी भी वाहन का बीमा तब तक नहीं कर सकती, जब तक कि वाहन मालिक के पास वैलिड पीयूसी यानी प्रदूषण सर्टिफिकेट न हो। जनरल इंश्योरेंस काउंसिल की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा कि मोटर व्हीकल एक्ट, 1988 की धारा 146 और 147 के तहत वाहनों का थर्ड पार्टी बीमा कराना अनिवार्य है।
दुर्घटना पीड़ितों को मुआवजा नहीं मिला तो कौन होगा जिम्मेदार?
तुषार मेहता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2017 में यह आदेश दिया था कि जब तक पीयूसी सर्टिफिकेट नहीं होगा, बीमा कंपनियां वाहनों को थर्ड पार्टी बीमा नहीं दे सकती। हमारे सर्वेक्षण के मुताबिक भारत के 55 फीसदी वाहन बिना बीमा के हैं यानी अगर इससे कोई दुर्घटना होती है तो पीड़ित को कोई मुआवजा नहीं दिया जाएगा।
“ऐसे में अगर बिना बीमा वाले वाहन से सड़क पर किसी प्रकार की दुर्घटना हुई और दुर्घटना पीड़ितों को इसका मुआवजा नहीं मिला तो इसका कौन जिम्मेदार होगा?” यह बड़ा सवाल कोर्ट प्रोसीडिंग के दौरान उठाया गया।
सख्त कार्रवाई की मांग
तुषार मेहता ने आगे कहा कि पीयूसी मानदंडों का पूरा पालन किया जाना चाहिए और जितना हो सके, इसके लिए सख्त उपाय भी किए जाने चाहिए। उदाहरण के लिए अगर वाहन का पीयूसी सर्टिफिकेट मौजूद न हो तो उन वाहनों को पेट्रोल न दिया जाए।
बेंच ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि दोनों सर्टिफिकेट पीयूसी और बीमा के बीच संतुलन बनाना होगा। एक तो वाहन, प्रदूषण मानदंडों पर खड़ा उतरना चाहिए जिससे प्रदूषण में कमी लाई जा सके। और दूसरा, ये कि अगर इतने सारे वाहन बिना थर्ड पार्टी बीमा होंगे तो दुर्घटना की स्थिति में न्यायपालिका और आम जन को कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
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