Posted On : 27 November, 2024
परिवहन विभाग की ओर से ईवी ट्रकों (EV Trucks) के प्रवेश पर नया शुल्क वसूलने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग ने यातायात की भीड़ से निपटने और पर्यावरण पर्यावरण के अनुकूल फ्यूल के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक चार-भाग दृष्टिकोण को लागू करने की योजना बनाई है। इस योजना के तहत सरकार ईवी ट्रकों (EV Trucks) के भीड़भाड़ वाली सड़कों पर प्रवेश पर नया शुल्क जिसे भीड़भाड़ शुल्क (Congestion Charge) के नाम से वसूला जा सकता है।
हालांकि इन व्यस्त सड़कों पर ईवी ट्रकों (EV Trucks) के प्रवेश पर निर्धारित समय तक प्रवेश करने पर ही यह शुल्क वसूला जा सकेगा। इस निर्धारित समय के बाद प्रवेश पर शुल्क नहीं वूसला जा सकेगा। बताया जा रहा है कि इस शुल्क को लागू करने से यह लाभ होगा कि व्यस्तम सड़कों पर ईवी ट्रकों के कारण होने वाली भीड़भाड़ कम होगी जिससे यातायात सुचारू रूप से संचालित हो सकेगा।
मीडिया रिपोर्ट् के मुताबिक दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग ने एक व्यापक चार-भाग दृष्टिकोण को लागू करने के लिए एक योजना तैयार की है। इसके तहत वाहन प्रतिबंधित क्षेत्र स्थापित करना, नगर निगम के वाहनों और अंतिम डिलीवरी परिवहन को इलेक्ट्रिक विकल्पों में बदलना, भीड़भाड़ मूल्य निर्धारण शुल्क शुरू करना, केवल बीएस6-मानक या इलेक्ट्रिक ट्रकों को सख्ती से लागू करना और पुराने वाहनों को खत्म करना सुनिश्चित करना, शामिल किया गया है। बता दें कि जाम और प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए विभाग की ओर से एक थिंक टैंक के साथ मिलकर भीड़भाड़ मूल्य निर्धारण शुल्क शुरू करने की रूपरेखा को तैयार किया गया है जिसे लागू किए जाने पर विचार किया जा सकता है।
इस योजना के तहत 13 प्रमुख सीमा बिंदुओं पर शहर में प्रवेश करने वाले निजी चार पहिया वाहनों (Private four Wheelers) और व्यापारिक वाहनों (Commercial Vehicles) पर शुल्क लगाया जा सकता है। थिंक टैंक ने सुझाव दिया है कि निजी चार पहिया और कमर्शियल वाहनों से मुख्य सड़कों के व्यस्त समय सुबह 8 से 10 और शाम 5.30 से 7.30 बजे के दौरान शुल्क वसूला जा सकता है। थिंक टैंक ने यह भी सुझाव दिया है कि स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (एएनपीआर) और रेडियो फ्रीक्वेंसी पहचान (आरएफआईडी) प्रौद्योगिकी का उपयोग करके वाहन का पता लगाया जाना चाहिए। इसके अलावा इसने सुझाव दिया है कि भीड़भाड़ शुल्क का निर्धारण बेसलाइन मूल्य पर आधारित होना चाहिए जो जीआरएपी स्तरों, वाहन ईंधन के प्रकार और बीएस उत्सर्जन मानकों के साथ अलग-अलग तय किए जाने चाहिए।
थिंक टैंक द्वारा दिए गए सुझाव के मुताबिक भीड़भाड़ शुल्क और संबंधित दंड के रूप में वसूली गई राशि का उपयोग विशेष रूप से सार्वनजिक परिवहन (Public Transportation) को बढ़ाने और सड़कों को बेहतर बनाने के लिए किया जा सकता है। इस राशि का इस्तेमाल विशेष रूप से साइकिल चालकों और पैदल यात्रियों सहित सबसे कमजोर उपयोगकर्ताओं के लिए किया जा सकता है।
परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी मुताबिक अभी भीड़भाड़ शुल्क वसूले जाने की पहल विचाराधीन है, लेकिन इसके कार्यान्वयन से पहले कई कानूनी बाधाओं को सुलझाना की जरूरत होगी, क्योंकि कानून में इस तरह के शुल्क के प्रावधानों को स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट नहीं किया गया है। अधिकारी ने सुझाव दिया कि चुनाव से पहले योजना को क्रियान्वित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
वाहन प्रतिबंधित क्षेत्र स्थापित करने के संबंध में अधिकारी का कहना है कि विभाग इस संबंध में एक योजना तैयार कर रहा है। अभी प्रतिबंधित क्षेत्रों को परिभाषित किया जाना है। विभाग का विचार उन स्थानों को कार मुक्त क्षेत्र बनाने का है जो दुकानदारों के लिए अनुकूल हैं। इसके लिए अन्य एजेंसियों के सहयोग की आवश्यकता होगी ताकि पूरे क्षेत्र को पैदल चलने वाले के लिए अनुकूल बनाया जा सके।
अधिकारी ने कहा कि जहां तक नगर निगम के वाहनों और अंतिम-डिलीवरी परिवहन को इलेक्ट्रिक में बदलने की बात है, इसके लिए विभाग ने कहा है कि उसने दिल्ली के प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए सरकारी ट्रकों (Trucks) को इलेक्ट्रिक-वाहनों (E-Vehicles) में बदलने की व्यवहारिकता की जांच के लिए एक अध्ययन किया गया है। यह अध्ययन अंतरराष्ट्रीय स्वच्छ परिवहन परिषद द्वारा किया गया। इसके अलावा भारी उद्योग मंत्रालय ने एक ईवी टास्क फोर्स (EV Task Force) का गठन किया है जिसमें आईसीसीटी द्वारा भारत में इलेक्ट्रिक ट्रकों (Electric Trucks) और सहायक बुनियादी ढाचे से संबंधित मामलों का नेतृत्व किया जा रहा है।
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