Posted On : 01 May, 2024
VECV यानी वोल्वो आयशर कमर्शियल व्हीकल भारत की महत्वपूर्ण कंपनियों में से एक है। हाल ही में इस कंपनी ने ऐलान किया है कि वह वाहन की फ्यूल तकनीक पर 1000 करोड़ रुपए का निवेश करेगी। कंपनी इससे वाहनों की फ्यूल तकनीक को प्रोत्साहित करेगी। बता दें कि VECV भारत की लोकप्रिय वाहन निर्माता कंपनी है, जो वोल्वो ग्रुप और आयशर मोटर्स के ज्वाइंट वेंचर से बना है। कंपनी वैकल्पिक फ्यूल तकनीक पर रिसर्च कर रही है और अलग-अलग विकल्प की तलाश कर रही है। ट्रेडिशनल फॉसिल फ्यूल जैसे पेट्रोल और डीजल से हटकर कंपनी अब नए ईंधन विकल्पों पर फोकस करते हुए ज्यादा ग्राहकों की जरूरतों को टारगेट कर रही है।
कंपनी विस्तृत ग्राहक रेंज को टारगेट करने के लिए विभिन्न फ्यूल तकनीकों पर फोकस कर रही है, जिसमें मुख्यतः इलेक्ट्रिक वाहन है। EV तकनीक, बैटरी तकनीक, चार्जिंग इन्फ्रा और इलेक्ट्रिक ड्राइवट्रेन पर कंपनी ध्यान केंद्रित कर रही है। इसके अलावा कंपनी का फोकस हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाले वाहनों पर है। कंपनी हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाले कमर्शियल वाहनों का निर्माण, हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक से चलने वाले वाहनों के निर्माण पर फोकस कर रही है। इसके अलावा VECV का फोकस हाइब्रिड वाहनों पर भी है, जिससे उत्सर्जन कम से कम हो सके। कंपनी हाइब्रिड वाहनों के अलावा बायोफ्यूल तकनीक पर भी फोकस कर रही है। जिसमें मुख्य रूप से एथेनॉल और बायो डीजल से चलने वाली गाड़ियां शामिल है। वीईसीवी भविष्य में अपने ट्रकों को बीईवी (बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन) ईंधन तकनीक से लैस करेगी। साथ ही हाइड्रोजन आईसीई (आंतरिक दहन इंजन) पर भी कंपनी तेजी से काम कर रही है।
VECV ट्रक के सीईओ, आर एस सचदेवा ने कहा, हम हाइड्रोजन आईसीई (आंतरिक दहन इंजन) और बीईवी (बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन) ईंधन तकनीक दोनों पर काम कर रहे हैं। क्योंकि हम नहीं जानते कि भविष्य में कौन सा ईंधन विकल्प ग्राहकों के लिए सबसे ज्यादा अच्छा होगा। इनमें से प्रमुख तौर पर बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन तकनीक है, जो ईवी स्पेस है। कंपनी वीईसीवी, यहां अगले साल तक एक बड़ी उपस्थिति दर्ज करने की कोशिश में है।
सचदेवा बताते हैं कि भारत में आरएंडडी की लागत यूरोप के मुकाबले 1/8वां हिस्सा है, वहीं टेस्टिंग में भारत में यह लागत यूरोप की लागत की एक चौथाई तक हो सकती है। कम लागत की वजह से भारत में रिसर्च एवं डेवलपमेंट ज्यादा किफायती साबित होगा। हालांकि उन्होंने इसके लिए कुछ चैलेंजेस का भी जिक्र किया कि भारत में परीक्षण और प्रमाणित वाहनों की स्वीकृति दुनिया के कुछ हिस्सों में "बहुत कम" है। सरकार अगर इस समस्या से निपट ले तो इससे वाहनों के निर्यात को भी बढ़ावा मिल सकता है।
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