केंद्र सरकार जल्द ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए बड़े इंसेंटिव की कर सकती है घोषणा
देश में निर्माण को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार तरह तरह की योजनाएं देश में ला रही है, जिससे मेक इन इंडिया का मिशन भी तेजी से अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हो रहा है। ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम के तहत सरकार बड़ी घोषणा कर सकती है। ऑटो सेक्टर के पार्ट्स का ज्यादा से ज्यादा लोकलाइजेशन को बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है, ताकि आयात पर निर्भरता को कम से कम किया जा सके। ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के 61वें सत्र को संबोधित करते हुए केंद्रीय भारी उद्योग मिनिस्टर महेंद्र नाथ पाण्डेय ने कहा है, कि पीएलआई स्कीम की अनाउंसमेंट अंतिम चरण में है, सरकार 57000 करोड़ रुपए का आवंटन इस क्षेत्र में निर्माण को बढ़ावा देने के लिए करेगी। सरकार इस परियोजना को एक महत्वाकांक्षी परियोजना के तौर पर तेजी से बढ़ा रही है। ऑटो सेक्टर में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया है, जिसका एक बड़ा उद्देश्य रोजगार को बढ़ावा देना है। मंत्रालय द्वारा यह प्रयास किया जा रहा है, कि 2025 तक ऑटो सेक्टर 50 लाख से 75 लाख तक रोजगार दिया जा सके। इस सेक्टर में रोजगार के बड़े अवसर खोलने के लिए सरकार हर संभव प्रयास करने को तैयार है।
पीएलआई स्कीम : एक परिचय
गौरतलब है कि देश में आधारभूत संरचना, चीन जैसे देशों की तरह नहीं है। भारत में यदि कोई कंपनी निर्माण कार्य करती है, तो उन्हें चीन की अपेक्षा अधिक लॉजिस्टिक्स का खर्च देना पड़ता है। जिससे भारतीय कंपनियों या भारत में निर्माण कार्य करने वाली कंपनियों की लागत बढ़ जाती है। यही वजह है कि विदेशी कंपनियां भारत की अपेक्षा वियतनाम, चीन जैसे देशों को ज्यादा प्राथमिकता देती है। भारत में आधारभूत संरचना के विकास के लिए एक क्रांति की जरूरत है, अब समय आ चुका है कि देश में लंबे चौड़े एक्सप्रेसवे हों। मेट्रो रेल, बुलेट ट्रेन आदि का एक बड़ा जाल हो जिससे ट्रांसपोर्टेशन, लॉजिस्टिक्स आदि का खर्च कम लगे। लेकिन इसके लिए अभी सरकार को लंबा समय खर्च करना पड़ सकता है, यही वजह है कि सरकार ने अस्थाई तरीका के रूप में प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम या पीएलआई स्कीम की शुरुआत की है। जिससे इन कंपनियों को भारत में ही निर्माण के लिए इंसेंटिव दिया जाए। भारत एक बड़ा मार्केट है, यहां उपभोक्ताओं की बड़ी संख्या है। सरकार ने कहा है, यदि कंपनियां भारत में बनाकर भारतीय उपभोक्ताओं को सामान बेचती है, तो आयात किए हुए सामान की अपेक्षा ज्यादा बिक्री होगी। साथ ही सरकार द्वारा इंसेंटिव देकर कंपनियों की मदद की जायेगी, ताकि कंपनी की भारत में निर्माण लागत को कम किया जा सके।
पूरी तरह घरेलू बाजार पर ऑटोमोटिव सेक्टर को होना पड़ेगा निर्भर
नीति आयोग सीईओ अमिताभ कांत ने बताया, भारत अभी भी ऑटो सेक्टर के कंपोनेंट के लिए पूरी तरह घरेलू निर्भरता हासिल नहीं कर सका है। भारत के विकास और बेहतर भविष्य और अधिक रोजगार के अवसर खुलने के लिए जरूरी है कि भारत इस क्षेत्र में पूरी तरह से आत्म निर्भर हो। भारत में बनाने वाली गाड़ियों के कई महत्वपूर्ण उपकरण चीन से मंगाए जाते हैं। भारत को इलेक्ट्रिक व्हीकल के लीडर के रूप में यदि विश्व पटल पर स्थापित करना है, तो हमें अपनी निर्भरता चीन पर से कम करनी होगी। इसी वजह से भारत में सामान निर्माण के लिए कंपनियों को पीएलआई योजना द्वारा आकर्षित किया जा रहा है।
इलेक्ट्रिक व्हीकल बैटरियों के दाम और कम होंगे
पीएलआई योजना के तहत केंद्र सरकार अगले 5 वर्ष के दौरान भारत 1.46 लाख करोड़ रुपए पर लाभ कंपनियों को देगी। जो उन्हें भारत में निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए दिया जायेगा। ताकि घरेलू निर्माण को बढ़ावा मिले और आयात में कटौती किया जा सके। घरेलू इकाइयों में निर्मित उत्पाद पर कंपनियों को प्रोत्साहन दिया जायेगा। विशेष रूप से इलेक्ट्रोनिक, इलेक्ट्रिकल, सेमी कंडक्टर, आदि के निर्माण पर चीनी निर्भरता को कम करना ही योजना का मुख्य उद्देश्य है। अमिताभ ने कहा, अगले दो साल के दौरान बैटरियों के दाम और कम होने वाली है, जिससे इलेक्ट्रिक व्हीकल पर लागत कम आने वाली है। और उपभोक्ताओं को राहत भी मिलेगी। इलेक्ट्रिक ट्रक, इलेक्ट्रिक कार आदि के अतिरिक्त सभी प्रकार के इवी उपकरणों पर सरकार द्वारा भारी मदद दी जायेगी। प्रौद्योगिकी, कार्य क्षमता और निवेश इन तीनों पर खासा जोर दिया जा रहा है और उत्पादन बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास सरकार द्वारा किया जा रहा है।
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