Posted On : 29 July, 2021
अशोक लेलैंड कंपनी में बड़ा फेरबदल होने जा रहा है। अब अशोक लेलैंड यूके सब्सिडियरी ऑप्टारे सहित समूह के सभी प्रकार के इलेक्ट्रिक वाहनों यानि ईवी व्यवसाय को नवीन कंपनी स्विच मोबिलिटी में समेकित कर रहा है। ट्रक जंक्शन पर आपको अशोक लेलैंड कंपनी के नए निर्णय के बारे में यहां विस्तार से जानकारी दी जा रही है। स्विच मोबिलिटी अशोक लेलैंड (Ashok Leyland) के साथ समूह के ईवी संचालन के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार होगी। यह डीजल से चलने वाले वाहनों के अपने मुख्य व्यवसाय के साथ-साथ सीएनजी, एलएनजी और हाइड्रोजन जैसे वैकल्पिक ईंधन पर काम करती है।
नई कंपनी के इस साल के अंत तक भारत में एक इलेक्ट्रिक वैन लांच करेगी। इसका लक्ष्य वाणिज्यिक वाहन बेड़े ऑपरेटरों के लिए होगा। कंपनी ने दावा किया है कि उसके पास इसके लिए पहले से ही 2000 अग्रिम आर्डर मिल चुके हैं। यह ओम ब्रांड के तहत एक सेवा व्यवसाय के रूप में नया ई मोबिलिटी भी स्थापित करेगा। यह व्यवसाय भारत सहित परिचालन व्यय यानि ऑप एक्स मॉडल पर इलेक्ट्रिक वाहन प्रदान करेगा और विभिन्न सरकारी निविदाओं के लिए आवेदन करेगा। अशोक लेलैंड ने सरकार की ईवी प्रचार नीति के अंतर्गत ऑप एक्स मॉडल पर भारत में परिवहन अधिकारियों को कई बसों की आपूर्ति की है।
अशोक लेलैंड को स्विच मोबिलिटी में स्थानांतरित करने का निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि इसमें निवेश की पर्याप्त संभावनाएं नजर नहीं आ रही थी। अशोक लेलैंड के चेयरमैन धीरज हिंदुजा ने कहा कि हमें इसमें पर्याप्त निवेश नहीं दिख रहा है। अब तक ऑप्टारे ईवी व्यवसाय में मुख्य रूप से अशोक लेलैंड द्वारा 13 मिलियन का निवेश किया गया है। लेकिन ट्रक और बस निर्माता अल्पावधि में नई कंपनी में अधिक पूजी निवेश नहीं करेंगे। मोबिलिटी स्विच को अपना खुद का वित्त बनाने की जरूरत है। यानि इसे आत्मनिर्भर बनना जरूरी है। फिर चाहे वह इक्विटी अथवा ऋण के माध्यम से ही क्यों ना हो। अशोक लेलैंड के चेयरमैन धीरज हिन्दुजा ने यह भी कहा है कि स्विच मोबिलिटी में लेलैंड समूह को निवेश करने के लिए कई वित्तीय और रणनीतिक भागीदारी से रुचि का
अहसास हुआ।
आपको यहां बता दें कि अशोक लेलैंड कंपनी का अनुमान है कि स्विच मोबिलिटी को उत्पाद और क्षमता विकास के लिए आगामी कुछ वर्षों में करीब 150 से 200 मिलियन डॉलर के निवेश की जरूरत होगी। वहीं नई कंपनी अशोक लेलैंड के साथ-साथ अब ईवी संबंधित सभी प्रकार की बौद्धिक संपदा की मालिक कहलाएगी। अब समूह द्वारा लांच किए गए सभी इलेक्ट्रिक वाहन स्विच ब्रांड के अधीन होंगे। इसमें भारत देश भी शामिल है। भारत के अलावा यूके दोनो विनिर्माण आधार पर काम करेंगे। भारत प्रमुख रूप से स्थानीय मांग के साथ-साथ दूसरी उभरती अर्थव्यवस्थाओं की भी पूर्ति करेगा। भारत भी स्विच मोबिलिटी से एक महत्वपूर्ण स्त्रोत के आधार पर काम करेगा। यह अशोक लेलैंड की क्रय शक्ति पर खास तौर पर निर्भर करेगा।
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