हिंदुस्तान जिंक की सिंदेसर खुर्द माइंस में इलेक्ट्रिक व्हीकल के इस्तेमाल की शुरुआत
भारत में पर्सनल व्हीकल से लेकर कमर्शियल व्हीकल तक में अब इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल काफी बढ़ने लगा है। अब तक तो सिर्फ सड़कों पर ही हम इलेक्ट्रिक व्हीकल को काम करते या फिर चलते हुए देखा करते थे, लेकिन अब जमीन के नीचे माइंस में ईवी का उपयोग किया जाना शुरू हो गया है। देश का पहला जिला बन गया है राजस्थान का राजसमंद, जहां जमीन के नीचे BEV यानी Battery Electric Vehicle से काम किया जाना शुरू हो गया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें, लेड और जिंक खदान के लिए हिंदुस्तान जिंक की सिंदेसर खुर्द माइंस में इसी महीने से इलेक्ट्रिक व्हीकल के इस्तेमाल की शुरुआत हो गई है। दैनिक भास्कर में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक जमीन से लगभग 482 मीटर नीचे बिना किसी शोर के इलेक्ट्रिक व्हीकल्स लोडिंग और अनलोडिंग आदि जैसे अन्य कामों में लगे हुए हैं।
900 वाहन EV में बदले जाएगें, 30 करोड़ लीटर ईंधन बचेगा
इस मीडिया रिपोर्ट के अनुसार लगभग 8 सालों से यहां काम कर रहे ड्राइवर रामचंद्र चौधरी ने बताया कि, डीजल वाहनों को जब हम ऊपर लेकर जाते हैं तो उन्हें दो से तीन बार रोकना ही पड़ता है, लेकिन इलेक्ट्रिक वाहन बिना रुके सरपट दौड़ते हैं। यहां वाई – फाई से कंट्रोल होने वाला ईवी चार्जिंग स्टेशन है जो केवल 37 मिनट में वाहन की पूरी बैट्री चार्ज कर देता है। उन्होंने बताया कि यहां काम करने वाले 900 वाहनों को EV में बदलने की प्लानिंग है। इसके बाद करीब 30 करोड़ लीटर ईंधन की बचत होगी।
ईंधन की बचत के साथ शोर से आजादी
आपको बता दें, जमीन से लगभग 1052 मीटर नीचे माइंस के लिए अब इलेक्ट्रिक वाहन भी कारगर साबित होने शुरू हो गए हैं। माइंस के एक इंजीनियर ने बताया कि इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का माइंस में उपयोग करने से फ्यूल की बचत के साथ साथ शोर से भी आजादी मिलने लगी। इससे हमें लीकेज का डर नहीं रहता है और हीट कम होगी तो वेंटिलेशन का खर्चा भी बचेगा।
मार्च तक और ईवी माइंस में उतारे जाएंगे
देश की सबसे गहरी खान के लिए काम में लिए जाने वाले इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के निदेशक जगन नारायण पद्मनाभन ने कहा है कि, "हिंदुस्तान जिंक की खदान में मार्च तक दो और इलेक्ट्रिक वाहन उतर जाएंगे। उन्होंने बताया कि 5 साल में 900 डीजल वाहनों को BEV में बदला जाएगा। यदि 3 डीजल व्हीकल्स को बैटरी इलेक्ट्रिक व्हीकल में बदला जाता है तो इससे 10 लाख लीटर ईंधन की बचत की जा सकती है, यानी 900 वाहनों से 30 करोड़ लीटर डीजल बचाया जा सकता है।
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