सरकार की नई ईवी पॉलिसी से होगा बड़ा लाभ, दुनिया भर में निर्यात होंगे ई-वाहन
केंद्र सरकार ने हाल ही में नई इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी को मंजूरी दे दी है। इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण को मजबूत बनाने के लिए केंद्र सरकार ने विशेषज्ञों की सलाह के बाद नई ईवी पॉलिसी बनाई है। नई ईवी पॉलिसी से केंद्र सरकार देश को इलेक्ट्रिक वाहनों के मैन्युफैक्चरिंग हब के तौर पर विकसित करना चाहती है। यह नीति देश में निर्माण प्लांट लगाने वाली कंपनियों को काफी राहत प्रदान करती है और उन्हें बहुत सारी सुविधाएं देती है। इससे देश में इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण में तेजी आएगी। अधिक निर्माण की वजह से देश में इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण का इको सिस्टम मजबूत होगा, इससे वाहन बनाने की लागत में भी कमी आएगी। इसके अलावा वाहन निर्माता कंपनियों को पीएलआई स्कीम के तहत भारी अनुदान भी दिया जाएगा, जिससे ग्राहकों के लिए अब ईवी और भी कम कीमत पर मिलने की उम्मीद की जा रही है।
क्या है इस नीति की खास बातें?
सरकार की इस नीति के तहत देश में कंपनियां न्यूनतम 4,150 करोड़ रुपये के निवेश के साथ इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण का प्लांट लगा सकती है। हालांकि शर्त यह है कि निर्माण प्लांट लगाने वाली कंपनी को इलेक्ट्रिक वाहनों में कम से कम 25 प्रतिशत लोकल कंपोनेंट्स का इस्तेमाल करना अनिवार्य होगा। इसके अलावा सरकार प्लांट लगाने के लिए जमीन अधिग्रहण में मदद करेगी और ज्यादा से ज्यादा सरकारी सुविधाएं भी प्रदान करेगी।
बढ़ेगा ईवी इकोसिस्टम, निर्यातकों को मिलेगा अनुदान
देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के उद्देश्य का पूरा ध्यान रखते हुए सरकार ने इस नीति को मंजूरी दी है। सरकार द्वारा जारी बयान के मुताबिक इस कदम से वाहनों को लेटेस्ट तकनीक तक पहुंच मिल सकेगी। ईवी इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिलेगा। मेक इन इंडिया अभियान के तहत भी इन कंपनियों को सहायता प्रदान की जाएगी। आयातित सामानों पर शुल्क छूट के साथ इलेक्ट्रिक वाहनों पर वार्षिक रूप से पीएलआई प्रोत्साहन भी प्रदान किया जाएगा। बता दें कि सरकार ने पीएलआई प्रोत्साहन के तौर पर हाल ही में 6484 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है।
नई ई-वाहन नीति की कुछ अन्य जरूरी बातें
नई ई-वाहन पॉलिसी के अंतर्गत EV प्लांट लगाने पर कंपनियों को कम से कम 4,150 करोड़ रुपये का निवेश करना होगा। हालांकि अधिकतम निवेश की कोई लिमिट तय नहीं की गई है। इस नीति के तहत प्लांट लगाने वाली कंपनियों को मैन्युफैक्चरिंग सेटअप लगाने के लिए 3 वर्ष का समय भी प्रदान किया जाएगा।
बता दें कि इस नई नीति में स्थानीयकरण का भी पूरा ध्यान रखा गया है ताकि लोकल उत्पादों को बढ़ावा मिल सके और यहां रोजगार पैदा हो सके। कंपनियों के लिए तीसरे साल तक अपने निर्माण किए गए उत्पादों में 25 प्रतिशत तक लोकलाइजेशन करना अनिवार्य होगा। साथ ही पांचवें साल तक 50 प्रतिशत लोकलाइजेशन हासिल करना भी अनिवार्य होगा।
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