Posted On : 24 July, 2024
एलएनजी फ्यूल बड़े और हेवी कमर्शियल ट्रकों और अन्य हेवी ड्यूटी वाहनों के लिए एक बड़ा अल्टरनेटिव फ्यूल विकल्प के तौर पर उभरा है। यह फ्यूल विकल्प एचसीवी वाहन के क्लीन फ्यूल सेगमेंट में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इंडियन ऑयल कॉर्प के बिजनेस डेवलपमेंट और ग्रोथ योजना के अध्यक्ष सुजॉय चौधरी के अनुसार, "सबसे ज्यादा विकास की संभावना हम जहां देख रहे हैं वह एलएनजी है। यह एक बढ़ता हुआ सेगमेंट है जो हम सब नोटिस कर रहे हैं। सड़क मार्ग से चलने वाले वाहनों में एलएनजी की पेशकश किए जाने से यात्रा काफी ज्यादा किफायती और प्रदुषण मुक्त हो सकता है। भारी वाहन सेगमेंट में एलएनजी एक उपयुक्त फ्यूल ऑप्शन हो सकता है।
बता दें कि कमर्शियल वाहन उद्योग में सरकार लंबी दूरी के ट्रकों और बसों में वैकल्पिक ईंधन विकल्प के रूप में एलएनजी ईंधन की तलाश कर रहे हैं। वर्तमान में इस सेगमेंट सबसे ज्यादा पॉपुलर ईंधन डीजल है। एलएनजी ईंधन डीजल की तुलना में काफी क्लीन और किफायती है चीन जैसे देशों में इन वाहनों में एलएनजी का सफल और बड़े स्तर पर इस्तेमाल हो रहा है।
अशोक लेलैंड, टाटा मोटर्स और ब्लू एनर्जी सहित कंपनियां पहले ही अपने एलएनजी ट्रकों को बाजार में उतार चुकी हैं। वर्तमान में, देश में लगभग 10 एलएनजी स्टेशन हैं। चौधरी का मानना है कि एलएनजी ईंधन की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती नहीं है क्योंकि ऑयल डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियां बड़े स्तर पर हाईवे पर एलएनजी स्टेशन के साथ आ रही हैं। "पहले से ही स्वर्णिम चतुर्भुज योजना में 50 एलएनजी स्टेशनों का निर्माण किया जा रहा है, जिनमें से इंडियन ऑयल 16 स्थापित कर रहा है। हमने अपना पहला स्टेशन पहले ही चालू कर दिया है और अन्य 5-6 स्टेशन का निर्माण भी पूरा होने वाला है।
एलएनजी ट्रकों की उच्च ऑपरेटिंग लागत पर बात करते हुए चौधरी ने आगे कहा कि एलएनजी ट्रकों की तुलना में डीजल ट्रकों में जहां उच्च ऑपरेटिंग लागत आती है। वहीं डीजल ट्रक की तुलना में एलएनजी ट्रकों में हाई एक्विजिशन कॉस्ट आती है, यानी ग्राहकों को एलएनजी ट्रकों की कीमत ज्यादा देना होता है। चौधरी ने कहा ईंधन की कम लागत होने की वजह से एलएनजी ट्रकों के लिए टोटल कॉस्ट ऑफ ऑनरशिप यानी टीसीओ कम होती है।
आगे चौधरी ने ये भी कहा कि इस साल की शुरुआत में, सरकार की थिंक टैंक नीति आयोग ने मध्यम और भारी वाणिज्यिक वाहनों में एलएनजी को बढ़ावा देने के लिए एलएनजी ट्रकों के लिए प्रायोरिटी लेन और टैक्स में छूट जैसे कुछ सुझाव दिए हैं जो काफी अच्छा है। अगर सरकार इस नीति को अप्रूवल देती है तो एलएनजी ट्रकों की कीमत में भी कमी आएगी।
बता दें कि भारत का ट्रक मार्केट 2022 में 4 मिलियन था लेकिन 2050 तक यह लगभग 17 मिलियन यूनिट तक हो सकती है। यानी मार्केट चौगुनी से भी अधिक होने की संभावना है। हाल ही में, सरकार ने मध्य प्रदेश में गेल (इंडिया) लिमिटेड के विजयपुर परिसर में पहली छोटे पैमाने पर SSLNG यूनिट का उद्घाटन किया। ऐसी यूनिट खासकर पाइपलाइनों से जुड़े क्षेत्रों और उद्योगों में में एलएनजी की आपूर्ति करती हैं।
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