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EV को बढ़ावा देने के लिए नीति आयोग चलाएगा “शून्य” अभियान

Posted On : 04 February, 2022

टाटा मोटर्स सहित देश की नामी कंपनियो से मिला समर्थन

भारत स्थायी रूप से शून्य उत्सर्जन की ओर आगे बढ़ रहा है। इसके लिए केंद्र सरकार सहित राज्य सरकारें भी निरंतर प्रयास कर रही हैं। केंद्र की ओर से जहां इलेक्ट्रिक वाहनों को सस्ता करने के लिए फेम इंडिया और पीएलआई स्कीम के तहत वाहन निर्माता कंपनियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है वहीं कई राज्य सरकारें भी ईवी को बढ़ावा देने में पीछे नहीं हैं। अब आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशन में नीति आयोग ने “शून्य” अभियान  शुरू किया है। इस अभियान के जरिए पूरे देश में इलेक्ट्रिक वाहन परिवहन को बढ़ावा देने के लिए जन जागरण चलाया जाएगा। अभियान को सफल बनाने के लिए करीब 70 से ज्यादा कॉरपोरेट घरानों ने नीति आयोग का खुल करसमर्थन किया है। आइए, जानते हैं नीति आयोग का शून्य अभियान क्या है और इससे कैसे आएगी इलेक्ट्रिक क्रांति? 

“शून्य” अभियान से ईवी इस्तेमाल बढ़ेगा 

नीति आयोग की ओर से शुरू किया गया “शून्य” अभियान  देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को और अधिक गति से आगे बढ़ाएगा। इसके लिए नीति आयोग के इस अभियान को सफल बनाने के लिए रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट और आरएमआई इंडिया की पहल रंग लाएगी। अभियान में माल परिवहन सहित सवारी गाडियों के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल पर जोर दिया जाएगा। सरकार का मुुख्य उद्देश्य शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य की ओर आगे बढऩा है। 

वायु गुणवत्ता और ईवी इस्तेमाल के फायदे बताएंगे 

नीति आयोग की ओर से चलाए जाने वाले जागरूकता अभियान में  विज्ञापन आदि के जरिए यह बताया जाएगा कि कैसे इलेक्ट्रिक वाहन शून्य उत्सर्जन में सहायक हैं। वहीं अन्य वाहनों से फैलने वाला वायु प्रदूषण किस तरह से मानव स्वास्थ्य के लिए घातक होता है। बता दें कि शून्य अभियान ग्राहक जागरूकता अभियान के अलावा शून्य अभियान में कार्पोरेट ब्रांडिंग कार्यक्रम भी इसमें शामिल किया गया है। इसके माध्यम से डिलीवरी और संबंधित वाहनों के बुनियादी ढांचे को उन लोगों के साथ ब्रांड नाम दिया जाता है जो ब्रांडिंग कार्यक्रम में करीब 70 कार्पोरेट भागीदार हैं। इनमें मुख्य रूप से ई-कामर्स कंपनियां, राइड हेलिंग कंपनियां, वाहन विनिर्माता, फ्लीट एग्रीगेटर और  चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदाता शामिल हैं। 

इलेक्ट्रिक वाहनों से सुधरेगा पर्यावरण

बता दें कि नीति आयोग की ओर से चलाए जाने वाले शून्य अभियान से पर्यावरण में सुधार होगा। इसी उद्देश्य के साथ यह अभियान चलाया जा रहा है। नीति आयोग के निदेशक रणधीरसिंह ने कहा है कि शून्य अभियान से वे रोमांचित हैं। इस पहल के जरिए इलेक्ट्रिक वाहनों के पर्यावरण, स्वास्थ्य और आर्थिक लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। इस अभियान से कार्पोरेट्स के साथ-साथ ग्राहक भी चुनौती को समझेंगे।  

स्वच्छ ऊर्जा प्रोद्योगिकी होगी तेज 

नीति आयोग के शून्य अभियान से स्वच्छ ऊर्जा प्रोद्योगिकी में तेजी आएगी। वहीं अनेक प्रकार के फायदे मिलेंगे। शहरी गतिशीलता समाधानों से प्रदूषण खत्म करने के लिए अपना योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करता है। आरएमआई के प्रबंध निदेशक क्ले स्ट्रेंजर ने कहा है कि वर्ष 2035 तक बेचे गए वाहनों के जीवनकाल के दौरान 1.2 गीगा टन कार्बनडाइऑक्साइड उत्सर्जन, 230 किलो टन पार्टिकुलेट मैटर घटाने और  ईंधन खर्च में करीब 60 लाख रुपया बचाया जा सकेगा। 

अभी इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग बढ़ाना मुख्य उद्देश्य 

बता दें कि जब तक इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग में अपेक्षाकृत तेजी नहीं आएगी तब तक शून्य अभियान सफल नहीं होगा। शून्य पहल का मुख्य उद्देश्य यही है। इस संबंध में आरएमआई इंडिया में सीनियर प्रिंसीपल अक्षिमा घाटे ने कहा है कि इलेक्ट्रिक वाहनों में शून्य टेलपाइप उत्सर्जन होता है। इससे शहरों में वायु प्रदूषण स्वत: ही कम हो जाएगा। वहीं लोगों में इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने के लिए जागरूकता लाई जाएगी। 

ये हैं शून्य प्रदषण अभियान की प्रमुख भागीदार कंपनियां 

नीति आयोग की ओर से शून्य अभियान को सफल बनाने के लिए देश की नामी ऑटो कंपनियों को जोड़ा गया है। इनमें देश की शीर्ष वाणिज्यिक वाहन निर्माता कंपनी टाटा मोटर्स के अलावा अल्टिग्रीन, एमेजॉन, एरॉन मोबिलिटी, अश्वनी मोटर्स, आयशर, यूलर मोटर्स, हीरो इलेक्ट्रिक, लैक्ट्रिक्स, महिंद्रा इलेक्ट्रिक, ओरिएंट मैजेंटा, पियाजियो, पल्स एनर्जी, सन मोबिलिटी, स्विगी, सोसाइटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स आदि कुल 70 कार्पोरेट इकाइयां हैं।
 

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