Posted On : 06 September, 2021
पेट्रोल और डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों के कारण मध्यमवर्गीय लोगों का वाहन चलाना मुश्किल हो रहा है। वहीं डीजल और पेट्रोल की खपत भी बहुत ज्यादा हो रही है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय परिवहन मंत्रालय सरकार की मंशा और समय की मांग के अनुरूप डीजल एवं पेट्रोल की जगह ईंधन के नये विकल्प के तौर पर इथेनॉल से चलने वाले वाहनों के उत्पादन की अपील वाहन निर्माता कंपनियों से कर रही है लेकिन जल्द ही यह अपील आदेश के तौर पर पारित हो जाएगी। यदि सब कुछ ठीक- ठाक रहा तो अगले छह महीनों में भारत में ब्राजील की तर्ज पर सरकार फ्लैक्स इंजन लगाने का आर्डर जारी कर देगी। केंद्रीय सडक़ एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि हम फ्लैक्स इंजन वाले वाहन देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसमें ग्राहकों के लिए 10 प्रतिशत पेट्रोल या 100 प्रतिशत इथोनॉल का उपयोग करने का विकल्प है। आइए जानते हैं क्या है इथेनॉल के उपयोग के कौन-कौन से फायदे हैं, और कैसे इसका फ्यूल विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा।
इथनॉल को डीजल या पेट्रोल के रूप में इस्तेमाल करने के कई फायदे होंगे। यह वाहन ईंधन का एक बेहतर विकल्प है। भारत में इसकी तकनीक आसान है। यदि सरकार इसे पेट्रोल और डीजल के विकल्प के रूप में लाती है तो निश्चित रूप से सरकार और भारतीय ऑटोमोबाइल्स के लिए यह बड़ी छलांग हो सकती है। केंद्रीय सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि भारतीय ऑटो उद्योग के लिए बॉयो एथेनॉल कम्पैटिबल वाहनों को शीघ्रता से शुरू करने की आशा कर रहा हूं। छह महीने के भीतर हम फ्लैक्स इंजन लगाने का ऑर्डर जारी करने जा रहे हैं। इसमें उपभोक्ता के पास पेट्रोल या इथेनॉल लेने का विकल्प भी रहेगा। इथेनॉल की कीमत 65 रुपये प्रति लीटर रहेगी। इथेनॉल के प्रयोग से भारत के तेल आयात भार कम होगा।
इथेनॉल को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने की योजना की बात की जाए तो परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार बायो इथेनॉल बनाने के लिए 450 नए संयंत्रों की जरूरत है। मौजूदा समय में इथेनॉल का उत्पादन 465 करोड़ लीटर है। जल्द ही पेट्रोल में मिलाने के लिए 1्र000 करोड़ लीटर की आवश्यकता पड़ेगी। इथेनॉल की प्रक्रिया के लिए पेट्रोलियम कंपनियों ने आगामी दस साल के लिए करार का भी वादा कर दिया है। वहीं सरकार की योजना है कि ई-20 ईंधन को 2023 तक लाने का लक्ष्य आगे बढाना है। वर्तमान में अनुमान के अनुसार 80 प्रतिशत लोग ई-10 ईंधन का उपयोग कर रहे हैं।
ईंधन बचत को लेकर सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादन पर जोर दिया है। दिल्ली सरकार ने तो इलेक्ट्रिक वाहनों के संचालन को प्रोत्साहित करने के लिए गत महीने चार हजार ई रिक्शा एक साथ सडक़ों पर उतारे थे। उधर ट्रक, बस, ऑटो, थ्री व्हीलर, पिकअप आदि में भी इलेक्ट्रिक वेरिएंट आ गए हैं। तेजी से लोग पेट्रोल और डीजल के विकल्पों की ओर जाना चाहते हैं। इसी के मद्देनजर केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने भारत सरकार की आशा के अनुरूप इथेनॉल आधारित वाहन उत्पादन पर जोर दिया है। इस तरह से ईंधन की बचत के भारत के पास मौजूदा समय में दो विकल्प हैं। इनमें इलेक्ट्रिक संचालित वाहनों की लागत ज्यादा होने के कारण इनकी कुल कीमत भी ज्यादा होती है। इधर इथेनॉल से संचालित वाहनों के बाजार में आने का भी लोगों को बेसब्री से इंतजार बना हुआ है।
वर्तमान दौर में इथेनॉल एक किफायती फ्यूल अल्टरनेट है। पिछले दिनों टीवीएस मोटर कंपनी ने अपनी पहली बाइक अपाचे आरटीआर 200 एफआई ई 100 को बाजार में उतारा था। यह इथेनॉल से ही संचालित है। यहां बता दें कि इथेनॉल एक तरह का एल्कोहल है, इसे पेट्रोल में मिश्रित कर गाडियों में ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इथेनॉल का उत्पादन मुख्य रूप ये गन्ने की फसल से होता है। वैसे शर्करा वाली कई अन्य फसलों से भी इसे तैयार किया जा सकता है। इससे खेती और पर्यावरण दोनो को ही फायदा होता है। इथेनॉल में अक्षय उर्जा होती है। वैसे भी इथेनॉल बनाने का प्रमुख स्त्रौत गन्ना है और गन्ने की फसल की कोई कमी नहीं होती।
अगर सरकार की इथेनॉल को फ्यूल विकल्प के रूप में भारतीय वाहनों में इस्तेमाल करने की तैयारियों की बात की जाए तो अगले दो साल में सरकार पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित कर तेल आयात की निर्भरता को कम करने के पक्ष में है। पेट्रोलियम मंत्रालय के अनुसार तेल कंपनियों भारतीय मानक ब्यूरों के मानकों के अनुकूल 20 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण वाला पेट्रोल बेच सकती हैं। ताजा अनुमान के अनुसार वर्ष 2023 तक 10 अरब लीटर इथेनॉल की जरूतर पड़ेगी।
सरकार इथनॉल को ईंधन के विकल्प के तौर पर अपनाने के लिए अभी प्रायोगिक रूप से पेट्रोल में कम मात्रा में मिला रही है। वर्तमान में 8.5 प्रतिशत इथेनॉल मिलाया जाता है। धीरे-धीरे इसकी मात्रा बढ़ायी जाएगी। इसके बाद इसे पूर्ण रूप से ईधन विकल्प घोषित कर दिया जाएगा। इसके बाद भी लोगों के लिए पेट्रोल एक विकल्प छोड़ा जाएगा।
अभी लोगों के मन में कई तरह की शंकाएं है जैसे क्या इथेनॉल से इंजन को नुकसान पहुंचता है। इथेनॉल मिलावट वाले पेट्रोल से चलने वाले वाहनों का इंजन पेट्रोल की तुलना में कम गर्म होता है। इथेनॉल में अल्कोहल जल्दी उड़ जाता है। इससे इंजन गर्म नहीं होता। इससे इंजन में कम से कम मेंटेनेंस होगा और इंजन सुरक्षित रहेगा।
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