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सफलता की कहानी ट्रक चालक का बेटा बना आईएएस, जानें संघर्ष की कहानी

News Date 31 May 2022

सफलता की कहानी  ट्रक चालक का बेटा बना आईएएस, जानें संघर्ष की कहानी

भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित ट्रक ड्राइवरों के बेटों के बारे में जानिए

ट्रक चालकों की जिंदगी का संघर्ष किसी से छिपा नहीं है। अधिकांश समय अपने परिवार से दूर रहने वाले ट्रक चालक बेहद कठिन परिस्थितियों में जीवन जीते हैं। वहीं उनका परिवार भी अभावों के बीच जीवन में खुशियां पाने के लिए संघर्ष करता है। यही संघर्ष उन्हें कुछ कर गुजरने की इच्छा शक्ति दे जाता है। संघर्ष से सफलता का रास्ता तय कर अब ट्रक चालकों के बेटे व बेटियां कई क्षेत्रों में अपना नाम रोशन कर रहे हैं। ताजा खुशनुमा समाचार भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षा परिणाम से जुड़ा हुआ है। ट्रक चालक के बेटे का भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयन हुआ है। यह बेटा राजस्थान के नागौर जिले के सोमणा निवासी पवन कुमार कुमावत है जिनके पिता ट्रक ड्राइवर रामेश्वर लाल प्रजापत है। ट्रक जंक्शन की यह पोस्ट देश के 50 लाख से अधिक ट्रक ड्राइवरों व उनके परिवारों को प्रेरणा देने के लिए लिखी गई है। इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करें।

सरकारी स्कूल से पढ़े पवन को ऐसे मिली आईएएस बनने की प्रेरणा

ट्रक चालक के बेटे नागौर के सोमणा (जायल) निवासी पवन कुमार कुमावत का भारतीय प्रशासनिक सेवा (सिविल सर्विस परीक्षा) में चयन हुआ है। पवन को आईएएस 2021 में देशभर में 551वीं रैंक मिली हैं। पवन कुमार वर्तमान में बाड़मेर जिला उद्योग केंद्र में निदेशक पद पर पदस्थापित हैं। इनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल में हुई। उसके बाद वे पिता के साथ नागौर आ गए। पवन पढ़ाई में शुरू से ही होनहार रहे हैं। 2006 में इन्होंने एक रिक्शा चालक के बेटे गोविंद जायसवाल के आईएएस बनने की खबर पढ़ी तो इन्होंने भी आईएएस बनने का निश्चय कर लिया। अपने सपने को साकार करने के लिए पवन ने जी तोड़ मेहनत शुरू कर दी। 

इंटरव्यू में दो बार असफलता मिलने के बाद भी नहीं हुए निराश, अब मिली सफलता

पवन कुमार कुमावत गांव में प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद अपने पिता के साथ नागौर आ गए। वहां उन्होंने सेंट्रल स्कूल से शिक्षा प्राप्त की। उसके बाद प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुट गए। वे दो बार आईएएस का इंटरव्यू दे चुके हैं लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके बावजूद वे निराश नहीं हुए और नए उत्साह से तैयारी शुरू की। तीसरे प्रयास में वे आईएएस चयनित हुए हैं। पवन कुमार के अनुसार उनका 2018 में आरएसएस (राजस्थान प्रशासनिक सेवा) में 308 वीं रेंक पर चयन हो चुका था। इससे पहले आईएएस के दो बार इंटरव्यू दिया, लेकिन सफल नहीं हो पाए, अब तीसरे प्रयास में चयन हुआ है। 

ट्रक चालक पिता का संघर्ष आया काम

पवन के आईएएस में चयनित होने के पीछे उनके ट्रक चालक पिता का संघर्ष सबसे महत्वपूर्ण रहा है। पवन ने मीडिया को बताया कि उनके ट्रक चालक पिता के संघर्ष व कठिन परिस्थितियों में मुझे यहां तक पहुंचाया है। मेरे पिता ने मुझे पढ़ा-लिखाकर काबिल बनाया इसलिए उन्हें देश की प्रतिष्ठित परीक्षा तक पहुंचने का सौभाग्य मिला है। 

हिंदी माध्यम के बच्चों को भी मिल सकती है आईएएस में सफलता

भारतीय प्रशासनिक सेवा 2021 के परीक्षा परिणामों में हिंदी माध्यम के अभ्यर्थी में अच्छी संख्या में पास हुए हैं। नव चयनित आईएएस पवन कुमार के अनुसार इस बार सिविल सर्विस परीक्षा में हिन्दी माध्यम के अभ्यर्थियों को भी अच्छा मौका मिला है। उनके पिता ट्रक चालक हैं तथा उन्होंने जिंदगी के संघर्ष को बहुत करीब से देखा है। उन्होंने बताया कि कभी खुद को कम नहीं आंकना चाहिए। संसाधनों की कमी के बावजूद ग्रामीण क्षेत्र के साधारण परिवार के युवा भी अपनी मेहनत के दम पर बड़ी सफलता हासिल कर सकते हैं। पवन के आईएएस में चयन से क्षेत्र के युवाओं से सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी करने के प्रेरणा मिलेगी। वहीं पवन ने कहा कि कोई भी युवा पढ़ाई व परीक्षा के संबंध में उनसे मार्गदर्शन ले सकता है। पवन के आईएएस में चयन के बाद गांव में खुशी की लहर छाई हुई है और रिश्तेदार व ग्रामीण उन्हें शुभकामनाएं दे रहे हैं। 

कई ट्रक ड्राइवरों के बेटे पहले भी बन चुके हैं आईएएस

ट्रक ड्राइवरों के कई बेटे पहले भी भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित हो चुके हैं। यहां आपको ट्रक चालकों के दो बेटों के संघर्ष के बारे में बताया गया है। 

आईएएस राकेश ख्यालिया : राजस्थान निवासी ट्रक चालक के बेटे राकेेश ख्यालिया का चयन आईएएस 2020 में हो चुका है। सीकर जिले के कटराथल निवासी राकेश ख्यालिया के पिता अशोक कुमार कभी ट्रक चालक थे। पिता के संबल व प्रेरणा से ही वे भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित हुए। राकेश के अनुसार उनकी 8वीं कक्षा तक की शिक्षा दौलतपुरा में हिंदी माध्यम से ही हुई। इसके बाद उन्होंने सीकर के एक स्कूल से 12वीं कक्षा पास की और कानपुर आईआईटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इस दौरान ही उनकी जॉब बैंक ऑफ अमेरिका में लग गई और पोस्टिंग मुंबई में मिली। एक साल जॉब के बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी शुरू की। 2019 के पहले प्रयास में मुख्य परीक्षा में एक अंक से रहने के बाद 2020 में फिर परीक्षा दी। जिसमें उन्हें सफलता मिल गई।

आईएएस हरविंदर सिंह : एक और ट्रक चालक के बेटे हरविंदर सिंह साल 2018 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित हो चुके हैं। हरविंदर सिंह ने यूपीएससी 2018 की परीक्षा में 256वीं रैंक हासिल कर ट्रक चालकों के परिवारों का गौरव बढ़ाया है। हरविंदर सिंह को तीसरे प्रयास में यह सफलता मिली। हरविंदर के पिता ट्रक चलाने के अलावा खेती से अपने परिवार का पालन करते थे।

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