Posted On : 20 September, 2023
ट्रक ना सिर्फ भारत बल्कि पूरे वर्ल्ड में ट्रांसपोर्टेशन के क्षेत्र में अपना खास वजूद रखते हैं। लॉजिस्टिक्स संबंधी सामग्री से लेकर तमाम निर्माण सामग्री, दूध, फल-सब्जी, अनाज, एफएमसीजी, लोहा, कोयला आदि विविध वस्तुओं की आपूर्ति देश के सभी शहरों में ट्रकों से ही की जाती है। ये ट्रक रेलवे माल गोदामों और बंदरगाहों से सामान को बाजारों और अन्य गंतव्यों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण कड़ी का काम करते हैं। आज यदि कल्पना करें कि यदि ट्रक नहीं होते तो हमें दैनिक उपभोक्ता सामग्री से लेकर भवन निर्माण और अन्य भारी सामानों की डिलीवरी कैसे मिल पाती। ट्रकों की दुनिया बड़ी निराली है। इसे जानना और समझना टेढी खीर है। वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था में ट्रक कारोबार का खास योगदान है, इसे स्वीकार करना होगा। वर्तमान में कमर्शियल व्हीकल निर्माता कंपनियां ट्रक निर्माण में कई तरह के अभिनव प्रयोग कर रही है। 19 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में ट्रकों का विकास शुरू हुआ जो लगातार जारी है। आज भारत में ही यदि ट्रक विकास को देखें तो डीजल और पेट्रोल ट्रकों की कहानी अंतिम मोड पर आ गई है और इनकी जगह इलेक्ट्रिक कमर्शियल व्हीकल्स तेजी से इस्तेमाल होने लगे हैं। यहां तक कि हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाले ट्रक बनाने की ओर शीर्ष सीवी निर्माता कंपनियां बेताब हैं। ट्रकों के विकास में किस-किस तरह के मोड आए? वर्तमान में ट्रकों की यह विकास यात्रा किस स्टेज तक पहुंच चुकी है? इन सभी प्रश्नों का हल आपको यहां ट्रक जंक्शन पर इस आर्टिकल में उपलब्ध है जो ट्रक विकास की एक रोचक कहानी भी है।
ट्रकों का सफर कैसे शुरू हुआ? इसके बारे में एक रोचक कहानी है। बता दें कि 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में सबसे पहले घोड़े से खींचे जाने वाले वैगनों के रूप में ट्रक चलाया गया। यह एक कम विकसित ट्रक कहा जा सकता था। इसे विशेष रूप स्थानीय डिलीवरी के लिए उपयोग में लिया जाता था। इसके बाद बीसवीं सदी की शुरूआत में गैस से चलने वाले इंजनों का आविष्कार हो गया। इनके कारण इस उद्योग में एक क्रांति जैसा माहौल बना। 1913 में फोर्ड मॉडल टी आधारित फोर्डसन ट्रक का निर्माण हुआ जो काफी उभर कर आया। बड़े पैमाने पर इनका उत्पादन होने लगा। प्रथम विश्वयुद्ध में इस तरह के वाहनों ने लॉजिस्टिक्स में अच्छा योगदान दिया। इसके डिजायन में भी प्रगति हुई। 1920 के दशक में ट्रकों के नये-नये डिजायन सामने आए। 1930 के दशक में बंद कैब और नोर्म्स के साथ डिजायन वाले ट्रक दिखने लगे।
अगर यह खोजा जाए कि दुनिया का पहला ट्रक कौनसा था, तो आप पाएंगे कि डेमलर मोटर लास्टवैगन दुनिया का पहला ट्रक था। इसका निर्माण 1896 में किया गया था। यह ट्रक डेमलर मोटरन गेसेलशॉफ्ट द्वारा बनाया गया था। इसे गोटलिब डेमलर नामक व्यक्ति ने डिजायन किया था। कंपलीट ट्रक के रूप में यह वाहन दुनिया में क्रांति लाने जैसा था।
ट्रकों के विकास के सफर की इस कहानी में आगे द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद की तकनीक प्रगति की जानकारी दी गई है। इंजीनियरिंग के कारण ट्रक और दूसरे कमर्शियल वाहनों की संख्या में तेजी से वृद्धि होने लगी। 1950 के दशक में शेवरले कैमियो कैरियर जैसे प्रतिष्ठित कंपनी ने डिजायन में तरक्की करते हुए कंफर्टेबल केबिन बनाने पर जोर दिया। इस युग में इंजीनियरिंग में प्रगति के कारण पावर में भी बढ़ोतरी हुई। वहीं गैसोलीन के अच्छे परिणाम सामने आए। 1990 के दशक में लैपटॉप पीढ़ी के कारण वाहनों को कुशल वर्क हॉर्स में बदल दिया गया।
ट्रकों की इस विकास यात्रा के दौरान 21वीं सदी में वर्तमान में पर्यावरण को स्वच्छ रखने पर जोर दिया जा रहा है। अब डीजल और पेट्रोल की जगह इलेक्ट्रिक हाईब्रिड कमर्शियल वाहनों का उत्पादन और चलन तेजी से बढ़ रहा है। कनेक्टिविटी और नई तकनीक के कारण सभी तरह के वाहन ग्रीन पहल से अधिक सेफ एवं ईको फ्रेंडली हो गए हैं। इस प्रकार लगभग एक शताब्दी से अधिक समय में घोड़ा गाड़ी से शुरू हुई ट्रकों की कहानी आज इलेक्ट्रिक ट्रकों तक पहुंच गई है। इससे देश और विदेशों में व्यापारिक गतिविधियां काफी तेज हो गई हैं।
भारत में डेढ़ दर्जन से ज्यादा सीवी निर्माता कंपनियां विभिन्न कैटेगरी एवं अलग-अलग सेगमेंट में ट्रकों का उत्पादन करती हैं, लेकिन इनमें कुछ चुनिंदा कंपनियां हैं जिनके कमर्शियल व्हीकल और ट्रक सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं। ये कंपनियां इस प्रकार हैं-:
1. टाटा मोटर्स
2. अशोक लेलैंड
3. महिंद एंड महिंद्रा
4. भारतबेंज
5. आयशर मोटर्स
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