वायु प्रदूषण कम करने और वाहन निर्यात के लिए BS-VII लागू करना जरूरी
वाहन प्रदूषण कम करने व वाहन निर्यात की वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे रहने के लिए केंद्र सरकार कड़े कदम उठाने जा रही है। सरकार उत्सर्जन मानक अपडेट करने के लिए अगले 5 साल में कड़े बीएस-VII और कॉर्पोरेट एवरेज फ्यूल एफिशएंसी-III (CAFE-III) उत्सर्जन मानक लागू करेगी। केंद्र सरकार अपने 5 साल के रोडमैप के तहत BS-VII व CAFE-III स्टैंडर्ड लागू करेगी जो यूरो-7 स्टैंडर्ड के अनुरूप हैं। BS-VII व CAFE-III मानक लागू होने का फायदा यह होगा कि वाहनों की ईंधन दक्षता बढ़ने के साथ-साथ कार्बन उत्सर्जन में कमी देखने को मिलेगी। केंद्र सरकार ने इस योजना पर अपने कदम बढ़ाना शुरू कर दिए हैं। वहीं सड़क परिवहन मंत्रालय ने हितधारकों के साथ बीएस-VII मानकों की रूपरेखा पर चर्चा शुरू कर दी है। यहां आपको बता दें कि फिलहाल देश में एक अप्रैल 2020 से भारत स्टेज-VI मानक लागू है।
इन दो कारणों से BS-VII लागू करेगी सरकार
अगर भारत में वायु प्रदूषण को कम करना है और भारतीय कंपनियों को अपने वाहन विदेशी बाजार में बेचने हैं तो सरकार को BS-VII मानक लागू करने होंगे। यूरोपीय आयोग ने जुलाई 2025 से कारों के लिए और 2027 से बसों और लॉरी के लिए यूरो-7 मानकों को लागू करने का प्रस्ताव दिया है। भारत को भी दो कारणों से इसे अपनाने की जरूरत है। पहला कारण किसी भी तरह वायु प्रदूषण को रोकना और दूसरा कारण मेक इन इंडिया वाहनों का निर्यात करना। अगर भारत यूरोपीय देशों के उत्सर्जन मानकों के अनुरूप वाहन तैयार नहीं करता है तो उसे अपने वाहनों का निर्यात करने में कठिनाई होगी और वह वैश्विक प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाएगा। यहां आपको बता दे कि अलग-अलग देशों में मानक अलग-अलग होते हैं। अगर कोई देश इन देशों में वाहनों का निर्यात करना चाहता है तो उसे उनके मानकों के अनुरूप वाहन तैयार करने होंगे। जिस तरह यूरोपीय देशों में कार्बन उत्सर्जन मापने के लिए यूरो मानक लागू होते हैं उसी की तर्ज पर भारत में भारत स्टेज (BS) मानक लागू हैं।
नए मानक लागू करने के लिए तेल व वाहन कंपनियों का सहयोग जरूरी
नए उत्सर्जन मानक बीएस-7 लागू करने के लिए सरकार को तेल व वाहन कंपनियों के सहयोग की सबसे ज्यादा जरूरत होगी। सबसे पहले तेल कंपनियों को अपने ईंधन की गुणवत्ता को उन्नत करना होगा। साथ ही इसमें वाहन उद्योग का सहयोग भी चाहिए होगा, जो आमतौर पर अब तक ऐसे बदलावों का विरोध करता रहा है। इन बदलावों के लिए बड़े स्तर पर निवेश करने की जरूरत होती है। वहीं सड़क परिवहन मंत्रालय ने हितधारकों के साथ बीएस-VII मानकों की रूपरेखा पर चर्चा शुरू कर दी है। सड़क परिवहन मंत्रालय यह भी देख रहा है कि यूरो-7 कैसे अंतिम रूप लेता है।
जानिए CAFE-III क्या है
कॉर्पोरेट एवरेज फ्यूल एफिशएंसी-III यानी CAFE-III एक वित्तीय वर्ष में एक कंपनी के सभी वाहनों द्वारा उत्पादित कार्बन डाइऑक्साइड के कुल उत्सर्जन की निर्धारित सीमा है। यह पूरे बेड़े पर लगाया जाता है। ये मानक वाहन निर्माताओं को अधिक ईंधन कुशल वाहन बनाने के लिए बाध्य करते हैं, जो कम उत्सर्जन करते हैं। साथ ही फ्यूल एफिशिएंसी में सुधार करती है। साल 2018 में अधिसूचित CAFE मानकों को दो लक्ष्य चरणों को ध्यान में रखते हुए लागू किया गया है। CAFE के पहले चरण में 2022-23 तक 130 ग्राम/किमी कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके बाद 2022-23 के बाद 113 ग्राम/किमी का CO2 उत्सर्जन लक्ष्य तय किया गया है।
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