Posted On : 28 December, 2022
भारत एक ऐसा देश है जहां सबसे ज्यादा ट्रक् (Truck) ट्रांसपोर्ट होता है। यहां एक राज्य से दूसरे राज्य और एक जिले से दूसरे जिले से लेकर छोटे कस्बों और गांव देहात तक ट्रकों से ही रोजमर्रा की जरूरतों सहित निर्माण सामग्री और अन्य वस्तुओं की डिलीवरी होती है। इन ट्रकों में ऑटोनॉमस ट्रकों की प्रभावशाली भूमिका हो सकती है। एक सर्वे के अनुसार दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी इकोनॉमी के रूप में भारत में लॉजिसि्टक्स के क्षेत्र में इंवेस्टमेंट किया जाता है। ऑटोनॉमस ट्रक इस तरह की अर्थव्यवस्था को अधिक मजबूत बना सकते हैं। वहीं केंद्र सरकार ने हाल ही राष्ट्रीय रसद नीति भी शुरू की है। इसका उद्देश्य रसद पहुंचाने की लागत को कम करना और लॉजिसि्टक्स क्षेत्र में ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा करना है। यहां ट्रक जंक्शन पर इस आर्टिकल में आपको रसद क्षेत्र में ऑटोनॉमस ट्रकों की उपयोगिता की पूरी जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है। इसे ध्यान से पढें और शेयर करें।
देश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर माल की सप्लाई और ढुलाई करने में ऑटोनॉमस ट्रकों की बढ़ती संख्या से जो फायदे हो रहे हैं उनमें कंटेनर डिपो एवं वेयर हाउसिंग सेवाओं में सुधार सबसे महत्वपूर्ण है। वहीं इससे प्रोसेसिंग माल का संचालन आसान होता है। भारत को वर्ल्ड क्लास मैन्युफैक्चरिंग सेंटर बनाने में मदद मिल रही है। एक अध्ययन के अनुसार ऑटोनॉमस ट्रक बाजार का आकार 2027 तक 12.6 प्रतिशत दर से बढ़ कर 20,13. 34 मिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
भारत सरकार अगले तीन वर्षों मेंदेश में 26 ग्रीन एक्सप्रेस वे बनाने जा रही है। इसका खुलासा हाल ही केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने किया है। इससे स्वायत्त ट्रकों का नेटवर्क और तेजी से बढ़ेगा। वहीं शिपिंग बंदरगाहों पर भीड़ कम होगी।
सेल्फ ड्राइविंग ट्रक देश की लॉजिसि्टक्स इनोनॉमी में अहम रोल सकते हैं वहीं इसे और अधिक प्रोत्साहित करने के लिए प्रशिक्षित ट्रक ड्राइवरों की संख्या बढ़ाना जरूरी है। वर्तमान में भारत में 2.2 मिलियन कुशल ट्रक ड्राइवरों की कमी चल रही है। इससे माल ढुलाई की कुल लागत पर भी असर पड़ रहा है।
स्वायत्त ट्रकों को रसद सामग्री परिवहन का सबसे बेस्ट साधन माना जा रहा है लेकिन देखा जाए तो लोकेश इंटेलीजेंस के साथ पहले सुरक्षा को ज्यादा प्राथमिकता मिलनी चाहिए जो नहीं है। यदि सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली दुर्घटनाओं के आंकड़ों पर गौर करें तो 2020 में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से जारी किए गए आंकड़े बताते हैं कि नेशनल हाइवेज पर 116,000 से अधिक सड़क दुर्घटनाएं हुईं। इनमें 48,000 मौतें हुईं। मंत्रालय ने इन दुर्घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि ट्रैफिक मैनेजमेंट को आधुनिक प्रणालियों से लैस किया जाएगा।
भारत सरकार ट्रकों से होने वाले लॉजिसि्टक्स कारोबार के लिए स्वचालित ड्राइविंग की भी बड़ी प्लानिंग कर रही है लेकिन इसके लिए सुरक्षा का मुद्दा सबसे ज्यादा चिंताजनक है। वहीं सरकार का यह भी मानना है कि ऐसे ट्रकों के लिए रूटिंग और नेविगेशन टूल आदि महत्वपूर्ण है। इस टैकनीक को ऑटोनॉमस ट्रकों पर प्रयोग करने में अभी समय लगेगा। इसके लिए ले आउट प्लान और कनेकि्टविटी की जानकारी, मौसम संबंधी डेटा आदि जरूरी हैं। वाहनों के वास्तविक सड़कों पर आने से पहले सभी हालातों में ड्राइव करने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण आवश्यक है। ऑटोनॉमस ट्रकों के डिजायन पर भी अधिक फोकस करने की जरूरत है।
यह सच है कि वर्तमान में भारत में रसद क्षेत्र में सबसे ज्यादा रोल ऑटोनॉमस ट्रकों का ही है। लेकिन इसे और ज्यादा प्रभावशाली बनाने के लिए जरूरी हैं कि स्वायत्त ट्रकों के ड्राइवरों को और अधिक एक्सपर्ट बनाया जाए और नये ड्राइवरों के लिए नौकरी के अवसर खोले जाएं। लॉजिसि्टक्स कंपनियां मौजूदा ड्राइवरों को अधिक कुशल बनाने के लिए ट्रेनिंग सेंटर्स खोलने के क्षेत्र में इंवेस्टमेंट कर सकती हैं।
बता दें कि ऑटोनॉमस ट्रकों में सेल्फ ड्राइव होती है। इन ट्रकों में ड्राइवर को स्टीयरिंग कंट्रोल नहीं करना पड़ता। हाल ही में यूएस बेस्ड TuSimple ने अपने ऑटोनॉमस ट्रक का पहला नो ह्ययूमन रोड टेस्ट पूरा किया है। यूएस-बेस्ड TuSimple ने इस टेस्ट में दावा किया है कि ये ट्रक 130 केएम की दूरी पर खुद चलने में कामयाब रहा। वहीं रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि सड़क पर मुशि्कलों को स्केन करने के लिए सबसे पहले एक लीड को व्हीकल को तैनात किया गया था। इससे हर 8 किलोमीअर की दूारी पर यह वाहन किसी भी तरह की दिक्कत के बारे में रिपोर्ट कर सकता था। ऑटोनॉमस ट्रक के इस ट्रॉयल में यह भी बात सामने आई कि दूसरे मोटर ड्राइवर के साथ यह सड़क पर बेहतर तरीके से चल सकता था। कंपनी का मानना है कि ऑटोनॉमस वाहनों में अन्य वाहनों की तुलना में 10 प्रतिशत कम ईंधन की खपत होती है।
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