लॉजिस्टिक सेक्टर : अर्थव्यवस्था में सुधार तेजी, फैक्ट्रियों में 30 प्रतिशत तक बढ़ा उत्पादन
कोविड-19 की दूसरी लहर की रफ्तार धीमी पडऩे के बाद देश की अर्थव्यवस्था में सुधार दिख रहा है। बाजार खुलने से व्यापार में वृद्धि हुई है और देश के एक कोने से दूसरे कोने में माल की आवाजाही ने गति पकड़ ली है। इससे ट्रांसपोर्ट बिजनेस, लॉजिस्टिक सेक्टर में उत्साह का माहौल है। जून माह के दौरान देश के प्रमुख मार्गों पर ट्रक किराए में 15 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है।
इंडियन फाउंडेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड ट्रेनिंग के मीडिया में प्रकाशित बयानों में कहा गया है कि प्रमुख ट्रक मार्गों पर जून माह में ट्रक किराए में पिछले माह की तुलना में 12 से 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई, क्योंकि आर्थिक सुधार में तेजी आई है। अप्रैल और मई 2021 के महीनों में कोविड -19 की दूसरी लहर अपने चरम पर थी और देश के बाजार और इंडस्ट्री लॉकडाउन और प्रतिबंधों से प्रभावित थे। आर्थिक गतिविधियां थम सी गई थी और उपभोक्ता खर्च अपने निचले स्तर पर था। इस दौरान किराए में जोरदार गिरावट आई थी। इस समयावधि में डीजल की कीमतें लगातार बढ़ी और टायरों की कीमतों में वृद्धि हुई थी।
लॉजिस्टिक सेक्टर : औद्योगिक उत्पादन और आयात-निर्यात व्यापार में 50 फीसदी तक की वृद्धि
देश में कोविड संक्रमण मामले लगातार कम होने व वैक्सीनेशन अभियान के कारण लॉकडाउन व प्रतिबंध हटा दिए गए हैंं। इससे आर्थिक गतिविधियों के खुलेने से अर्थव्यवस्था ने रफ्तार पकड़ी है। औद्योगिक उत्पादन में 25-30 प्रतिशत और आयात-निर्यात व्यापार में 40-50 फीसदी तक वृद्धि हुई है। इससे ट्रकों के किराए में वृद्धि को प्रोत्साहन मिला है।
ट्रक बेडे की उपयोगिता दर 30 फीसदी तक बढ़ी
बुनियादी ढांचे, निर्माण और सडक़ परियोजनाओं में तेजी के कारण ट्रक बेड़े की उपयोगिता दर 20-30 फीसदी तक बढ़ गई है। उदाहरण के लिए, दिल्ली से मुंबई की वापसी यात्रा पिछले महीने के 2.75 ट्रिप से बढक़र जून 2021 के दौरान 3.50 ट्रिप हो गई है। इसी तरह, कांडला से दिल्ली की वापसी यात्रा बल्क कैरियर्स / ट्रेलरों की तीन ट्रिप से बढक़र चार हो गई है। खुले बाजार और अधिकांश 75 ट्रक मार्गों के लिए फुल राउंड ट्रिप में समान उछाल आया है। नतीजतन, ट्रक ऑपरेटर डीजल की कीमतों में 3.90 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी को सहन करने में सक्षम हैं।
लॉकडाउन के कारण आई थी ट्रक किराए में गिरावट
आपको बता दें कि कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान देश के सभी राज्यों में लॉकडाउन जैसी स्थितियां बनी हुई थी। इस दौरान आर्थिक गतिविधियां ठप हो गई और औद्योगिक उत्पादन भी थम सा गया था। इस दौरान एक पखवाड़े के दौरान ट्रक किराए में 5 से 4 प्रतिशत की गिरावट आई थी। इंडियन फाउंडेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड ट्रेनिंग द्वारा जारी माल ढुलाई दर के आंकड़ों के अनुसार, राज्यों में लॉकडाउन के कारण फैक्ट्री उत्पादन में गिरावट के कारण मुख्य ट्रक मार्गों पर ट्रक किराए में 5-7 प्रतिशत की गिरावट आई थी। नई दिल्ली स्थित थिंक-टैंक के अनुसार अगर एपीएमसी मंडियों में गर्मियों के फलों, सब्जियों, गेहूं और अन्य फसलों की आवक 10-15 प्रतिशत नहीं बढ़ी होती तो ट्रक का किराया और गिर सकता था।
नए ट्रासंपोर्ट वाहनों की थम गई थी मांग
इंडियन फाउंडेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड ट्रेनिंग (आईएफटीआरटी) के अनुसार लॉकडाउन के दौरान अधिकांश राज्यों में कार्गो ऑफरिंग और व्यवसायों, कारखानों, विशेष रूप से एमएसएमईएस के कामकाज में भारी गिरावट आई थी। ट्रांसपोर्ट बिजनेस, ट्रक बेडे के मालिकों की ओर से नए वाहनों की मांग लगभग स्थिर हो गई था। वाणिज्यिक वाहन (कमर्शियल वाहन) निर्मार्ताओं द्वारा उत्पादन भी रोक दिया गया था। शहर में शुक्रवार से ट्रक का भाड़ा महंगा हो जाएगा। ट्रक मालिक 15 फीसदी तक बढ़ा किराया वसूलेंगे। बढ़ा किराया नहीं देने पर माल की ढुलाई नहीं होगी। वहीं, ट्रक का भाड़ा बढऩे से कच्चे माल और उत्पाद की कीमतों में बढ़ोतरी हो जाएगी।
ट्रांसपोर्ट किराए में वृद्धि के पीछे तर्क
कोविड-19 की प्रथम व दूसरी लहर के दौरान लॉकडाउन के नुकसान से ट्रक मालिक अभी तक नहीं उबरे हैं। साथ ही महंगाई भी लगातार बढ़ रही है इसलिए भाड़ा बढ़ाना जरूरी है। डीजल और टोल शुल्क में बढ़ोतरी भी एक कारण है। इसके अलावा चालक व परिचालक भी ज्यादा वेतन मांग रहे हैं। ट्रक का टायर भी पहले से महंगा हो गया है। हालांकि ट्रक का किराया बढऩे से कच्चे माल का दाम बढ़ेंगे। उत्पाद की कीमतों में भी 10 से 15 फीसदी तक बढ़ोतरी संभव है।
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